हर किसी को आत्मरक्षा करनी होगी, हर किसी को अपना कर्तव्य
करना होगा। मैं किसी की सहायता की प्रत्याशा नहीं करता। मैं किसी का
भी प्रत्याह नहीं करता। इस दुनिया से मदद की प्रार्थना करने का मुझे
कोई अधिकार नहीं है। अतीत में जिन लोगों ने मेरी मदद की है या
भविष्य में भी जो लोग मेरी मदद करेंगे, मेरे प्रति उन सबकी करूणा
मौजूद है, उसका दावा कभी नहीं किया जा सकता। इसलिए मैं सभी
लोगों के प्रति चिर कृतज्ञ हूँ। तुम्हारी परिस्थिति इतनी बुरी देखकर मैं
बेहद चिंतित हूँ। लेकिन यह जान लो कि-'तुमसे भी ज्यादा दुखी लोग
इस संसार में हैं। मैं तुमसे भी ज्यादा बुरी परिस्थिति में हूँ। इंग्लैंड में सब
कुछ के लिए मुझे अपनी जेब से खर्च करना पड़ता है। आमदनी कुछ भी
नहीं है। लंदन में एक कमरे का किराया हर सप्ताह के लिए तीन पाउंड
होता है। ऊपर से अन्य कई खर्च हैं। अपनी तकलीफों के लिए मैं किससे
शिकायत करूँ? यह मेरा अपना कर्मफल है, मुझे ही भुगतना होगा।'
1) आकतिपर्ण कीजिए
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लोगो के और अपने आप के।।।।
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