हर्ष पुलकेशी को क्यों नहीं करा सका
Answers
Answer:
this is the answer see it
Explanation:
दक्षिण का सर्वाधिक प्रभावशाली सम्राट् पुलकेशिन द्वितीय था जिसकी उत्तरी सीमा नर्मदा तक विस्तृत थी। दोनों राजाओं की साम्राज्यवादी महत्त्वाकांक्षाओं ने संघर्ष को अनिवार्य बना दिया। मालवा व गुजरात में हर्ष व पुलकेशिन द्वितीय की साम्राज्य विस्तार की योजनायें टकराती थीं। अत: दोनों में संघर्ष अनिवार्य हो गया था। यह युद्ध वलभी पर हर्ष के आक्रमण का प्रतिफल था। युद्ध स्थल नर्मदा नदी के पास ही था। इस संघर्ष के परिणाम के विषय में निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि इसमें पुलकेशिन हर्ष को पराजित करने में सफल हुआ।
यह युद्ध नर्मदा के समीप 612 ई. के लगभग लड़ा गया, जैसा कि ह्वेनसांग का कथन है कि हर्ष ने अपना विजय अभियान छ: वर्ष (606-612 ई.) में समाप्त कर 30 वर्ष शांतिपूर्वक शासन किया। दूसरे चालुक्य सम्राट् पुलकेशिन द्वितीय (पुलकेशी द्वितीय) के हैदराबाद दानपत्र (शक संवत् 535-613 ई.) में कहा गया है कि चालुक्य राजा ने अन्य राजाओं (या राजा) को परास्त कर परमेश्वर की उपाधि ग्रहण की (पर नृपति पराजयोपलब्ध परमेश्वरी पर नाम धेय) अर्थात् अनेक युद्धों में कई राजाओं को हराकर यह उपाधि धारण की। दानपत्र की तिथि 613 ई. है अत: हर्ष को 612 ई. में पराजित किया होगा।