हर्षवर्द्धन का धर्म व ज्ञान के संरक्षक के रूप में मूल्यांकन कीजिए। अथवा
"गुप्तकाल प्राचीन भारत का स्वर्णकाल था।" उक्त कथन की सविस्तार व्याख्या कीजिए।
Answers
हर्षवर्द्धन और गुप्तकाल का परिचय विस्तार से नीचे दिया गया है |
Explanation:
हर्षवर्धन विद्या के महान संरक्षक थे और उन्होंने स्वयं तीन संस्कृत नाटक-नागानंद, रत्नावली और प्रियदर्शिका लिखे। हर्ष प्रयाग में हर पांच साल के अंत में महामोक्ष हरिशाद नामक धार्मिक उत्सव का आयोजन भी करता था। यहां उन्होंने दाना की रस्म अदा की। वे अपनी आय बराबर बराबर चार भागो मे बाँटा हुआ था जिसमे एक हिस्सा धार्मिक कार्यो के लिए उपयोग होता था |
गुप्त साम्राज्य ने भारतीय उपमहाद्वीप के बहुत हिस्से को आवरण किया। कुछ इतिहासकारों द्वारा इस अवधि को भारत का स्वर्णिम काल कहा जाता है।इस वंस के प्रमुख शासक चंद्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त और चंद्रगुप्त द्वितीय उर्फ विक्रमादित्य थे। इस अवधि के दौरान महाभारत और रामायण जैसे कई साहित्यिक स्रोतों का विमोचन किया गया। गुप्त काल में कालिदास, आर्यभट्ट, वराहमिहिर और वात्स्यायन जैसे विद्वानों ने कई अकादमिक क्षेत्रों में बृहत वृद्धि की। इस अवधि ने वास्तुकला, शिल्पकला और चित्रकारी में सफलता प्राप्त की, जिसने "रूप और स्वाद के मानकों को निर्धारित किया | इसने न केवल भारत में, किन्तु अपनी सीमाओं से बाहर भी कला को बढ़ाया|