Hindi, asked by anshikabajpai66, 8 months ago

हरिवंश राप बच्चन ka ka jivan parichay Hindi mein​

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Answered by rohitsingh1801
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Explanation:

हरिवश राय बच्चन जी (Harivansh Rai Bachchan Ji) हिंदी साहित्य के महान कवि है। इस लेख में आप हरिवंश राय जी का जीवन परिचय (harivansh rai bachchan ji ka jeevan parichay), हरिवंश राय बच्चन जी साहित्यक विशेषताएँ (harivansh rai bachchan ki kavyagat visheshta) और उनकी भाषा शैली (Bhasa Shaili) के बारे में हिंदी में जानकारी प्राप्त करेंगें। हरिवश राय जी की रचनाएँ और उनके साहित्य से जुडी विशेष बातों को जान पाएंगे। उम्मीद है आप सभी को हरिवंश राय की जीवनी ((Harivansh Rai Bachchan ki jivani) से जुडी हर जानकारी इस लेख के माध्यम से जरूर मिल जायेगी। आप हरिवंश राय बच्चन जी का जीवन परिचय पीडीऍफ़ फॉर्मेट (harivansh rai bachchan biography in hindi pdf download) में भी डाउनलोड कर सकते है। पीडीऍफ़ फाइल का लिंक पोस्ट में उपलब्ध है।

हरिवंश राय बच्चन जी का जीवनी परिचय

जीवन परिचय- श्री हरिवंशराय बच्चन (Harivansh Rai Bachchan) हालावाद के प्रवर्तक कवि माने जाते हैं। इनका आधुनिक हिंदी साहित्य के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। इनका जन्म 21 नवंबर 1907 को उत्तर प्रदेश के प्रयाग (इलाहाबाद) के एक साधारण कायस्थ परिवार में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा म्युनिसिपल स्कूल में हुई। बाद में कायस्थ पाठशाला तथा गवर्नमेंट स्कूल में भी पढ़ाई की।

प्रयाग विश्वविद्यालय में एम॰ ए॰ अंग्रेजी कक्षा में दाखिला लिया, लेकिन असहयोग आंदोलन से प्रेरित होकर पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। 1939 ई॰ में काशी विश्वविद्यालय से बी॰ टी॰ सी॰ की डिग्री प्राप्त की थी। ये 1942 से 1952 तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्राध्यापक के पद पर कार्यरत रहे। इसके बाद ये इंग्लैंड चले गए। वहां इन्होंने कैंब्रिज विश्वविद्यालय से एम॰ए॰ तथा पीएच॰डी॰ की उपाधि ग्रहण की। सन् 1955 ई॰ में भारत सरकार ने इन्हें विदेश मंत्रालय में हिंदी विशेषज्ञ के पद पर नियुक्त किया। जीवन के अंतिम क्षणों तक वह स्वतंत्र लेखन करते रहे।

इन्हें सोवियतलैंड तथा साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ‘दशदवार से सोपान’ तक रचना पर इन्हें सरस्वती सम्मान दिया गया। इनकी प्रतिभा और साहित्य सेवा को देखकर भारत सरकार ने इनको पदम‌भू‌‌षण की उपाधि से अलंकृत किया। 18 जनवरी सन् 2003 में ये इस संसार को छोड़कर चिरनिद्रा में लीन हो गए।

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