हरियाली पर्व के समय कृषि उपकरणों की पूजा अर्चना करने एवं बैगा द्वारा दरवाजे पर नीम की डगाल ख़ोचने का क्या आशय है? लिखिए
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अंचल में मंगलवार को किसानों ने हरियाली का पर्व हर्षोल्लास से मनाया। हरियाली पर कृषि औजारों का पूजन कर अच्छी फसल की कामना की गई। हरेली अमावस्या पर किसानों ने काम बंद रखकर मवेशियों व औजारों की पूजा-अर्चना की।
इस दौरान सभी किसान परिवारों में मुखिया की अगुवाई में पूजा-पाठ हुआ। इसके बाद परिवार के अन्य सदस्यों ने पूजा की। ग्राम दसपुर के सुखचंद निषाद, प्रकाश निषाद, घसियाराम साहू, ग्राम ठेलकाबोड़ के दोलेश जैन, भीरावाही के उत्तम जैन ने बताया कि हरियाली पर्व किसानों का प्रमुख पर्व है। इसमें कृषि औजारों की पूजा करने की परंपरा है।
गेड़ी की परंपरा आज से शुरू हुई: हरियाली पर्व से बांस से बनी गेड़ी चलाने की परंपरा शुरू हो गई। हालांकि यह परंपरा अब गांवों में ही नजर आती है। शहर और उससे लगे गांवों में अब कम ही लोगों को गेड़ी चढ़ता देखा जा सकता है। पहले शहर में भी गेड़ी दिखाई पड़ती थी। गेड़ी को पोला पर्व के दिन विसर्जित किया जाता है।
कृषि औजारों की पूजा कर मनाया हरेली अमावस्या: दुर्गूकोंदल। सावन की अमावस्या पर अंचल के किसानों ने हरेली अमावस्या का पर्व मनाया। किसानों ने पर्व पर सुबह हल, बैल और कृषि औजारों की पूजा-अर्चना की। गोंडवाना समाज ब्लाॅक सचिव बैजनाथ नरेटी, शिवलाल कोमरे, जोहन गावडे, धरमसिंह मंडावी ने बताया कि हरियाली पर्व आते तक पूरी धरती हरी-भरी हो जाती है। खेतों में धान और दूसरी फसल लहलहाने लगती है। हरेली इसी हरियाली का प्रतीक पर्व है।