harihar kaka ka charitra barnan kijie
debosmita2:
now i can't
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अनपढ़ परंतु अनुभवी व्यक्ति- हरिहर काका अनपढ़ थे फिर भी उन्हें दुनियादारी की बेहद समझ थी। उनके भाई लोग उनसे ज़बरदस्ती ज़मीन अपने नाम कराने के लिए डराते थे तो उन्हें गाँव में दिखावा करके ज़मीन हथियाने वालो की याद आती है। काका ने उन्हें दुखी होते देखा है। इसलिए उन्होंने ठान लिया था चाहे मंहत उकसाए चाहे भाई दिखावा करे वह ज़मीन किसी को भी नहीं देंगे। एक बार मंहत के उकसाने पर भाइयों के प्रति धोखा नहीं करना चाहते थे परन्तु जब भाइयों ने भी धोखा दिया तो उन्हें समझ में आ गया उनके प्रति उन्हें कोई प्यार नहीं है। जो प्यार दिखाते हैं वह केवल ज़ायदाद के लिए है।
2. हँसमुख- हरिहर काका एक हँसमुख व्यक्ति थे। वह अकेले होते हुए भी दुखी चेहरा नहीं रखते थे। लेखक को उनके मुख की हँसी याद रहती है।
3. अंतर्मुखी-परन्तु अपने साथ हुए हादसों ने उन्हें इतना तोड़ दिया कि वह चुप रहने लगे। उनकी चुप्पी से और खाली आँखें सब कुछ बयान कर जाती थी। उनमें दर्द और दुख इस प्रकार दिखाई देता है कि लेखक तक डर गया था। उनकी चुप्पी इस बात का प्रमाण थी कि वह अंदर ही अंदर घुट रहे थे। परन्तु वह किसी को कुछ कहते नहीं थे।
2. हँसमुख- हरिहर काका एक हँसमुख व्यक्ति थे। वह अकेले होते हुए भी दुखी चेहरा नहीं रखते थे। लेखक को उनके मुख की हँसी याद रहती है।
3. अंतर्मुखी-परन्तु अपने साथ हुए हादसों ने उन्हें इतना तोड़ दिया कि वह चुप रहने लगे। उनकी चुप्पी से और खाली आँखें सब कुछ बयान कर जाती थी। उनमें दर्द और दुख इस प्रकार दिखाई देता है कि लेखक तक डर गया था। उनकी चुप्पी इस बात का प्रमाण थी कि वह अंदर ही अंदर घुट रहे थे। परन्तु वह किसी को कुछ कहते नहीं थे।
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