"हस्तकला को बढ़ावा मिलना चाहिए" इस विषय पर अनुच्छेद लिखें
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रचनात्मकता मनुष्य का स्वाभाविक गुण है। अपनी रचनात्मक प्रवृत्ति और क्षमता के बल पर मनुष्य ने अनेक कलाओं को जन्म दिया। इनमें से प्रत्येक कला की अपनी पृथक मौलिक विशेषताएं थीं। रुहेलखण्ड क्षेत्र प्रारम्भ से ही विविध हस्तकलाओं की भूमि रहा है। इस तथ्य की पुष्टि अहिच्छत्र इत्यादि पुरास्थलों के उत्खनन में प्राप्त विभिन्न प्रकार की कलाकृतियों से होती है। यहाँ की कलाओं में कुछ अपने परम्परागत रुप में विद्यमान हैं। ऐसी कलाओं के केन्द्र रुहेलखण्ड के गाँव हैं। दूसरी ओर कुछ कलाओं ने समय के साथ-साथ बढ़ती हुई माँग के अनुसार वृहद् और व्यावसायिक रुप ग्रहण कर लिया है। इस प्रकार की कलाओं के केन्द्र प्रायः रुहेलखण्ड क्षेत्र के नगर हैं। हालांकि परम्परागत ग्रामीण हस्तकलाएं भी व्यावसायिक रुप ग्रहण कर रही हैं, लेकिन उनका व्यावसायिक स्वरुप आस-पास के ग्रामीण इलाकों तक ही सीमित है।
इस तरह रुहेलखण्ड की हस्तकलाओं को निम्नलिखित वर्गीकरण के अन्तर्गत समझा जा सकता है-
(1 ) परम्परागत ग्रामीण हस्तकलाएं
(2 ) व्यावसायिक रुप ग्रहण कर चुकी हस्तकलाएं
(1 ) परम्परागत ग्रामीण हस्तकलाएं
रुहेलखण्ड क्षेत्र के गाँवों में विभिन्न प्रकार की हस्तकलाओं के दर्शन होते हैं, जिनमें गाँव के स्री, पुरुष तथा बच्चे अत्यन्त निपुण हैं। इन कलाओं में अग्रलिखित प्रमुख हैं-
(i ) डलिया निर्माण
(ii ) चटौना निर्माण
(iii ) हाथ के पंखे
(iv ) सूप
(v ) मिट्टी के बर्तन
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