Hasti chadiye gyan ki shaj dulicha dari swan rupi sansar hai bhukhan de jhak mari hindi meaning
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हस्ती चढ़िये ज्ञान कौ सहज दुलीचा डारी
स्वान रूप संसार है भूंकन दे झख मारि।
ये कबीरदासजी द्वारा रचित एक साखी है। कबीरदास जी अपनी साखियों के माध्यम से अत्यन्त सरल व भावपूर्ण भाषा में अर्थपूर्ण बातें कहीं हैं। उपरोक्त साखी का अर्थ इस प्रकार है।
अर्थ —
कबीर दास जी कहते हैं कि ज्ञान अर्थात ज्ञानी व्यक्ति अगर हाथी चढ़कर भी आपके पास आये तो उसके सम्मान में कालीन बिछाना चाहिये। यहाँ कवि का हाथी से तात्पर्य आपकी पहुँच से दूर होना तो कालीन से तात्पर्य है कि ज्ञान आपकी पहुंच से दूर होने के बावजूद उसका सम्मान करना चाहिये और उससे अधिक से अधिक ज्ञान लेने की कोशिश करनी चाहिये।
हाथी के बाजार में चलने पर कुत्ते उस पर भौंकते रहते हैं वो हाथी का कुछ नही बिगाड़ नही पाते और हाथी अपनी राह चलता चला जाता है। कुत्ते हाथी पर भौंक कर अपना समय ही नष्ट करते हैं। पर हमें कुत्तों की तरह बर्ताव नही करके अपनी समय नष्ट नही करना चाहिये।
Answer:
उपरोक्त साखी का अर्थ इस प्रकार है।
कबीर दास जी कहते हैं कि ज्ञान अर्थात ज्ञानी व्यक्ति अगर हाथी चढ़कर भी आपके पास आये तो उसके सम्मान में कालीन बिछाना चाहिये।