Hasya Kavita on आ बैल मुझे मार (1 min)
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शहर से आये अपने बचपन के मित्रों के साथ गप्पे लड़ाता भोलू अचानक से उससे पूछ बैठा, "अरे सूरज वो एक कहावत है न "आ बैल मुझे मार " उसका मतलब क्या होता है ! तो सूरज बोला, "तुझे अचानक क्या सूझी जो बिना मतलब के कहावत हमारी बातों के बीच में ले आया!," तो भोलू ठहाका मारकर बोला, "अरे सूरज वो क्या है न कि कल स्कूल के सामने से गुजर रहा था तो मास्टर जी बच्चों से ये पूछ रहे थे। हम जल्दी में थे तो जबाब सुन न पाये। अब तुम तो जानते हो हम ठहरे अनपढ़, हमें कहाँ कुछ आता है !"
भोलू की भोली-भाली बात सुन सूरज उसके कंधे पर हाथ रख बोला, "अरे बुद्धू , इसका मतलब समझने के लिए पढने- लिखने की कोई जरूरत नहीं है ! अगर इसका मतलब समझना है तो शादी कर ले ।कहाँ फिर शादी के बाद जब भी पत्नी सज संवर रही हो उसकी तारीफ कर दो । तारीफ होने के कुछ देर बाद ही इसका मतलब समझ आ जायेगा । बेचारा भोला -भाला भोलू जो उसकी बातों को गौर से सुन रहा था बोला, "मतलब यार सूरज कल जब हमारी शादी होगी हम बिना पढे- लिखे ही इसका मतलब समझ जायेंगे" ! सूरज बोला, " हाँ ,हाँ बिल्कुल! "
दूसरे दिन भोलू को अपनी शादी से ज्यादा अपनी पत्नी के श्रृंगार करने का इंतजार था ! खैर, शादी भी हो गयी, सब विदा भी हो गये ।भोलू ने रात जैसे-तैसे काटी ।भोलू दूसरे दिन पत्नी के उठते ही खुद भी उठ गया और उसके नहाकर श्रृंगार करने का इंतजार करने लगा ताकि उसकी तारीफ कर सके और वो कहावत का मतलब समझ सके ! पत्नी आयी और खूब सुन्दर से सोलह श्रृंगार करने लगी तो भोलू जो एकटक उसकी सुन्दरता देख रहा था बोला, " तुम्हारे रूप के आगे तो चांद भी शरमा जायेगा ।कितना सुन्दर श्रृंगार किया है तुमने ।उसका इतना कहना था की पत्नी बोली, "आपको मेरा श्रृंगार करना सच में अच्छा लगा " ! तो भोलू बोला" हाँ सच में झूठ क्यों बोलूंगा " !
इसी बात पर आप रूकिए मैं आपको कुछ और श्रृंगारप्रसाधन के नाम लिखकर देती हूँ। आप ला दिजीए ! पत्नी की इस बात पर भोलू ने अपना सर पकड़ लिया और थोडी ही देर बाद लम्बी सी लिस्ट देख आ बैल मुझे मार का मतलब भी समझ गया, वो भी पढ़ाई लिखाई किये बिना !!