Hasya ras ke udaharan ?
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1. हाथी जैसा देह, गेंडे जैसी चाल। तरबूज़े सी खोपड़ी, खरबूज़े से गाल।।
2. बुरे समय को देख कर गंजे तू क्यों रोय। किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय।
2. बुरे समय को देख कर गंजे तू क्यों रोय। किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय।
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Hasya Ras ke Udaharan
विन्ध्य के वासी उदासी तपो व्रत धारी महा बिनु नारि दुखारे
गौतम तीय तरी तुलसी सो कथा सुनि भे मुनि वृन्द सुखारे
सीरा पर गंगा हसै, भुजानि में भुजंगा हसै
हास ही को दंगा भयो, नंगा के विवाह में
ह्रै ह्रै सिला सब चन्द्रमुखी परसे पद मंजुल कंज तिहारे
कीन्ही भली रघुनायक जू! करुना करि कानन को पगु धारे.
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Azhar08:
srryy
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