History, asked by lko789745, 6 months ago

हड़प की साम्राज्यवादी नीति किसकी थी?​

Answers

Answered by malanikanchan75
1

Answer:

उत्तर :

प्लासी के युद्ध में विजय के उपरांत कंपनी ने दो-तरफा पद्धति द्वारा भारत में कंपनी का साम्राज्यवादी प्रसार एवं सुदृढ़ीकरण किया-

विजय एवं युद्ध द्वारा समामेलन की नीति; और

कूटनीतिक एवं प्रशासनिक तंत्र द्वारा समामेलन की नीति।

पहली नीति के अंतर्गत कंपनी ने बंगाल, मैसूर, मराठा और सिख जैसी बड़ी भारतीय शक्तियों को एक-एक कर परास्त किया व उनका साम्राज्य अपने अधीन किया। लेकिन अन्य रियासतों एवं रजवाड़ों को अपने अधीन करने के लिये उसने तीन प्रमुख कूटनीतिक एवं प्रशासनिक नीतियों को अपनाया-

वारेन हेस्टिंग्ज की ‘रिंग-फेन्स’ पॉलिसी,

वैलेजली की सहायक संधि; और

डलहौजी का ‘व्यपगत सिद्धांत’।

घेरे (रिंग फेन्स) की नीतिः

इस नीति का उद्देश्य बफर ज़ोन बनाकर कंपनी की सीमाओं की रक्षा करना था। इन नीति में ‘रिंग फेन्स’ के भीतर शामिल किये गए राज्यों को, उनके स्वयं के खर्चों पर, बाहरी आक्रमण के विरूद्ध सैन्य मदद देने का भरोसा दिया गया था।

सहायक संधिः

यह एक प्रकार की मैत्री संधि थी जिसे 1798-1805 के दौरान लॉर्ड वैलेजली ने देशी राज्यों के साथ संबंध बनाने के लिये प्रयोग किया। इस संधि के नियमानुसार भारतीय राजाओं के विदेशी संबंध कंपनी तय करेगी। बड़े राज्य अपने खर्चे पर अंग्रेजी सेना को अपने राज्य में रखेंगे। उन राज्यों को अपने दरबार में एक अंग्रेज रेजीडेंट रखना होगा। कंपनी राज्य की बाहरी शत्रुओं से तो रक्षा करेगी परंतु राज्य के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देगी।

सबसे पहले यह संधि हैदराबाद के निजाम के साथ 1798 ई. में की गई। फिर, मैसूर (1799), अवध (1801), पेशवा, भोंसले, सिंधिया, जोधपुर, जयपुर, बूंदी तथा भरतपुर के साथ की गई। इस संधि से भारतीय राज्यों की स्वतंत्रता समाप्त हो गई, आर्थिक बोझ बढ़ गया तथा वो अंग्रेजों की दया पर आश्रित हो गए। परंतु, अंग्रेजों को इससे अत्यधिक लाभ हुआ।

व्यपगत का सिद्धांतः

इसे ‘शांतिपूर्ण विलय की नीति’ भी कहा जाता है। इसका प्रयोग 1848-56 ई. तक भारत के गवर्नर जनरल रहे लॉर्ड डलहौजी ने किया। डलहौजी का मानना था कि झूठे रजवाड़ों और कृत्रिम मध्यस्थ शक्तियों द्वारा प्रशासन की पुरानी पद्धति से प्रजा की परेशानियाँ बढ़ती हैं। अतः जनता की परेशानियों को दूर करने के लिये इन रजवाड़ों व मध्यस्थ शक्तियों को कंपनी के अधीन होना चाहिये। इसी मनमाने तर्क को आधार बनाकर उसने सतारा (1848), जैतपुर एवं संभलपुर (1849), उदयपुर (1852), झांसी (1853) और नागपुर (1854) को कंपनी साम्राज्य में मिला लिया। डलहौजी की इस नीति से भारतीय रियासतों में तीव्र असंतोष उत्पन्न हुआ जो 1857 के विद्रोह का एक प्रमुख कारण बना।

इस प्रकार कंपनी ने अपनी ताकत, कूटनीति व प्रशासनिक तंत्र की दक्षता के बूते अधिकतर भारतीय भू-भाग को अपने अधीन किया और कंपनी की सर्वोच्चता को स्थापित

Similar questions