History, asked by ranisharma1575, 3 months ago

हड़प्पा कालीन नगरों में विनिमय प्रणाली के बारे में विवेचन करें​

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Answered by Anonymous
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आपसी व्यापार और विनिमय को नियंत्रित करने के लिए प्रयास किए! दूर फैली हुई हड़प्पा कालीन बस्तियों में भी नाप और तौल की व्यवस्थाओं में एकरूपता थी! तौल निम्न मुल्यांकन में द्विचर प्रणाली के अनुसार है- 1,2,4,8 से 64 तक फिर 150 तक और फिर 16 से गुना होने वाले दशमलव 320,640,1600,3200 आदि ताक! चकमकी पत्थर पत्थर आदि से बनते है साधारणतया घनाभाकार होते है! लम्बाई 37.6CM की एक फुट की एकै पर आधारित थी और एक हाथ की एकै लगभग 51.8 से 53.6cm तक तक होती थी! नाप और तौल की समरूपता व्यवस्था केन्दिर्य प्रशासन द्वारा हड़प्पा-सभ्यता के लोगों में आपसी तथा अन्य लोगों के साथ विनिमय को व्यवस्थित करने के प्रयास की और इशारा करती है! हड़प्पा-सभ्यता की बस्तियों में काफी संख्या में मुहरे और मुद्रांकन पाए गए है! ये मुहरे और मुद्रांकन दुरूदत्त करते है! इनका प्रयोग व्यापारिक गतिविधियों में होता था! इस बात की पुष्टि इस तथ्य से होता है की बहुत से मुद्रांकन में पीछे की और रस्सी और चटाई के निशाँ है! इनमे पाए गए जाने वाले चिन्हों से यह पता चलता है की मुद्रांकन तिजारती माल में ठप्पे की तरह प्रयोग में लाए जाते होंगे! लोथल में गोदामों में वायुसंचालन के रास्तों में राख में अनेक मुद्रांकन पाए गए है ये सम्भवता आयातित माल के गट्ठोंरो को खोलने के बाद फेक दिए जाते होंगे! इन मुहरों पर विभिन्न जानवरों की आकृतियां भी चित्रित और इन पर जो लिपि उत्कीर्ण है वह अभी तक पढ़ी नहीं जा सकीय है! ऐसा लगता है दूरस्थ स्थानों के साथ व्यापार ऐनिमय में इनका प्रयोग होता था!

Answered by misrabarnali594
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