हड़प्पा नगर की सड़कों के बारे में आप क्या जानते हैं
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सिन्धु अथवा हड़प्पा सभ्यता के नगर का अभिविन्यास शतरंज पट (ग्रिड प्लानिंग) की तरह होता था, जिसमें मोहनजोदड़ो की उत्तर-दक्षिणी हवाओं का लाभ उठाते हुए सड़कें करीब-करीब उत्तर से दक्षिण तथा पूर्ण से पश्चिम को ओर जाती थीं. इस प्रकार चार सड़कों से घिरे आयतों में “आवासीय भवन” तथा अन्य प्रकार के निर्माण किये गये हैं.
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हड़प्पा शहरों की सबसे अनूठी विशेषता इसकी जल निकास प्रणाली थी। सड़कों तथा गलियों को ग्रिड पद्धति (जालनुमा) में बनाया गया था। सड़कें सीधी थीं और एक-दूसरे को समकोण पर काटती थी। ऐसा जान पड़ता है कि पहले नालियों के साथ गालियाँ बनाई गयीं और फिर उनके अगल-बगल मकानों का निर्माण किया गया।
सिंधु घाटी सभ्यता की विशेषताओं में सामाजिक जीवन, आर्थिक जीवन, धार्मिक जीवन, कला एवं संस्कृति, राजनैतिक एवं सामाजिक संगठन आदि का अध्ययन करते हैं। सिंधु घाटी सभ्यता लगभग 600 वर्षों तक निरन्तर कायम रही। ... कुछ अन्य विद्वान जैसे- हंटर के अनुसार यहाँ की शासन व्यवस्था जनतान्त्रिक पद्धति से चलती थी।
Gorky Bakshi. आईआईटी, खड़गपुर के शोधकर्ताओं द्वारा किये गये अध्ययन में यह पाया गया है कि सिंधु घाटी सभ्यता का अंत सैंकड़ों वर्षों के भयंकर सूखे के कारण हुआ. शोधकर्ताओं ने लगभग 4350 साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता के खत्म होने की वजह बने सूखे की अवधि का पता लगाया है.
हड़प्पा सभ्यता विश्व की नदी घाटी सभ्यताओं में गिनी जाने वाली एक प्राचीन सभ्यता है. हड़प्पा सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है. सर जॉन मार्शल ने सिन्धु घाटी सभ्यता को 'हड़प्पा सभ्यता' का नाम दिया था जिसे आद्य ऐतिहासिक युग का माना गया. यह सभ्यता 2500 ईसा पूर्व से 1500 से पूर्व तक रही.
मातृदेवी- इस सभ्यता के लोग मातृदेवी की भी पूजा करते थे। खोदाई के दौरान बड़ी संख्या में इनकी मूर्तियां मिली हैं। इन्हें संभवत: उर्वरता और समृद्धि की देवी माना जाता था।
लगभग 8000 साल पुरानी इस सभ्यता का सबसे बड़ा नगर है – राखीगढ़ी। हालांकि कुछ स्रोतों में मोहनजोदड़ो को सबसे बड़ा दिखाया गया है। राखीगढ़ी की खोज 1969 में हो चुकी थी. लेकिन व्यापक खुदाई 2000 के आसपास हुई.