हड़प्पा संस्कृति में सतता तथा शासन वर्ग के अस्तित्व के संबंध में दिए जाने वाले तर्कों की युक्तियुक्त विवेचना कीजिए
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हड़प्पा सभ्यता भारत को प्रथम प्रमाणित सर्वश्रेष्ठ सभ्यता है. इसके लिए साधारणतः दो नामों का प्रयोग होता है: “सिन्धु-सभ्यता” या “सिन्धु घाटी की सम्यता” और हड़प्पा संस्कृति. ये दोनों नाम पर्यायवाची हैं एवं इनका समान अर्थ हैं.
Explanation:
हड़प्पा का नामकरण : इनमें से प्रत्येक शब्द की एक विशिष्ट पृष्ठभूमि है. सिन्धु हमारे देश की एक नदी है जो हिमालय पर्वत से निकलती है और पंजाब तथा सिंध प्रान्त में बहुती हुई अरब सागर में गिरती है. घाटी उस प्रदेश को कहते हैं जो नदी के दोनों किनारों पर स्थित होती है तथा उसी नदी के जल से संचित होता है. इसलिए सिन्धु घाटी का तात्पर्य सिन्धु नदी के दोनों किनारों पर स्थित उस भूभाग से है जो उसके जल से सींचा जाता है. सभ्यता का तात्पर्य किसी क्षेत्र के लोगों की संस्कृति के विकास की वह अवस्था (stage) जब उसमें जटिलता और विविधता आ जाती है और वह पूर्णतः संगठित हो जाती है. अतएव साधारण शब्दों में कहा जा सकता है. “सिन्धु-सभ्यता” अथवा “सिन्धु घाटी की सभ्यता” का तात्पर्य हुआ – सिन्धु नदी के दोनो किनारों पर स्थित भूभाग या प्रदेश में रहने वाले लोगों का सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक जीवन.
हड़प्पा संस्कृति का भौगोलिक विस्तार : हड़प्पा संस्कृति का उदय भारतीय उपमहाखण्ड के पश्चिमोत्तर भाग में हुआ. इसका विस्तार पंजाब, सिन्ध, राजस्थान, हरियाणा, जम्मू, गुजरात, बलूचिस्तान, उत्तरी-पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा उत्तरी अफगानिस्तान तक था. यह समूचा क्षेत्र एक त्रिभुजाकार दिखाई देता है. हड़प्पा संस्कृति के विस्तार का क्षेत्रफल लगभग 1,299,600 वर्ग किलोमीटर बताया जाता है. यह क्षेत्र प्राचीन नील घाटी की मिश्री सभ्यता तथा दजला-फरात में पनपी मैसोपाटामिया की सभ्यता के क्षेत्रों से भी बड़ा है.
हड़प्पा संस्कृति का काल : हड़प्पा संस्कृति कितने वर्ष पुरानी है? इस बारे में एक निर्णय लेने में विद्वानों को अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है. इसका कारण यह है कि उस समय जो लिपि प्रचलित थी उसको अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है. अतः हमें हड़प्पा संस्कृति के काल निर्धारण के लिए ठोस एवं विश्वसनीय प्रमाण नहीं मिलते और हमें हड़प्पा संस्कृति का काल निर्धारण अनुमान के आधार पर ही करना होता है. इस अनुमान का आधार खुदायी में प्राप्त सामान व खण्डहर हैं.
हड़प्पा संस्कृति के निर्माता : हड़प्पा संस्कृति के निर्माता कौन थे? इस जटिल प्रश्न का कोई निश्चित उत्तर देने में अभी तक इतिहासकार सफल नहीं हुए हैं. विदित प्रमाणों के आधार पर यह तो स्पष्ट ही है, कि इस संस्कृति के प्रधान नगरों की आबादी मिश्रित थी. व्यापार, नौकरी करने और अनेक शिल्पकलाओं को सीखने आदि के उद्देश्यों से अनेक व्यवसायों, नसलों और जातियों के लोग इन नगरों में आकर निवास करते होंगे.
हड़प्पा संस्कृति के पतन के कारण : अनुमानत: 1700 यथा 1750 ई० पू० के लगभग हड़प्पा संस्कृति के दो प्रमुख नगरों – हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो – का अन्त हो गया. परन्तु दूसरे क्षेत्रों में इस सभ्यता का पतन धीरे-धीरे हुआ. गुजरात, राजस्थान आदि क्षेत्रों में लम्बे समय तक यह सभ्यता चलती रही. इस सभ्यता के पतन के वारे में कुछ भी निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता. विद्वानों ने इसके अनेक कारण बताये हैं. एक मत के अनुसार भूमि में रेगिस्तान फैलता चला गया तथा उसमें लवणता की मात्रा बढ़ती गई जिससे भूमि की उत्पादकता समाप्त हो गई. दूसरे मत के अनुसार इस क्षेत्र के नीचे धंसने के कारण भयंकर बाढ़ आयी तथा इससे ही अचानक इसका विनाश हो गया. तीसरे मत के अनुसार इस सभ्यता का आर्यों ने विनाश किया. इस मत को कुछ ही विद्वान मानते हैं. उसके अनुसार आर्य विदेशी थे. सिन्धु सभ्यता के निर्माता द्रविड़ थे. जब आर्यों का द्रविड़ों से संघर्ष हुआ तो आर्य अपने लोहे के अस्त्र-शस्त्रों के कारण द्रविड़ों को मार भगाया तथा उनकी संस्कृति को पूरी तरह बर्बाद कर दिया.