Hindi, asked by jiyajageshwarikodopi, 6 months ago

हड़प्पा सभ्यता एक नगरीय सभ्यता थी । इसके प्रमाण में कुछ प्रमुख विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए​

Answers

Answered by Enlightenedboy
10

Answer:

सिन्धु घाटी सभ्यता/हड़प्पा सभ्यता की विशेषताएं

हड़प्पा सभ्यता नगर मे निर्माण एवं भवन निर्माण

याजेनाबद्ध नगरों एवं भवनों का निर्माण इस सभ्यता की सर्वश्रेष्ठ विशेषता थी । सभी प्रमुख नगर जिनमे हड़प्पा मोहन जोदड़ो, चन्हुदड़ो, लोथल तथा कालीबंगा सभी प्रमुख नगर नदियों के तट पर बसे थे इन नगरों में सुरक्षा के लिये चारो ओर परकोटा दीवार का निर्माण कराया जाता था । प्रत्येक नगर में चौड़ी एवं लम्बी सड़के थी, चौड़ी सड़के एक दूसरें शहरों को जोड़ती थी । सिन्धु घाटी सभ्यता में कच्चे पक्के, छोटे बड़े सभी प्रकार के भवनों के अवशेष मिले है । भवन निर्माण में सिन्धु सभ्यता के लोग दक्ष थे । इसकी जानकारी प्राप्त भवनावशेषों से होती है । इनके द्वारा निर्मित मकानो में सुख-सुविधा की पूर्ण व्यवस्था थी । भवनों का निर्माण भी सुनियोजित ढंग से किया जाता था । प्रकाश व्यवस्था के लिये रोशनदान एवं खिड़कियां भी बनाई जाती थी । रसोई घर, स्नानगृह, आंगन एवं भवन कई मंजिल के होते थे । दीवार ईटो से बनाई जाती थी । भवनो, घरों में कुंये भी बनाये जाते थे । लोथल में ईटो से बना एक हौज मिला है ।

1. विशाल स्नानागार - मोहन जादे ड़ो में उत्खनन से एक विशाल स्नानागार मिला जो अत्यन्त भव्य है । स्नानकुण्ड से बाहर जल निकासी की उत्तम व्यवस्था थी । समय-समय पर जलाशय की सफाई की जाती थी । स्नानागार के निर्माण के लिये उच्च कोटि की सामग्री का प्रयोग किया गया था, इस कारण आज भी 5000 वर्ष बीत जाने के बाद उसका अस्तित्व विद्यमान है ।

2. अन्न भण्डार - हड़प्पा नगर के उत्खनन में यहां के किले के राजमार्ग में दानेो ओर 6-6 की पक्तियॉं वाले अन्न भण्डार के अवशेष मिले है, अन्न भण्डार की लम्बाई 18 मीटर व चौड़ाई 7 मीटर थी । इसका मुख्य द्वार नदी की ओर खुलता था, ऐसा लगता था कि जलमार्ग से अन्न लाकर यहां एकत्रित किया जाता था । सम्भवत: उस समय इस प्रकार के विशाल अन्न भण्डार ही राजकीय कोषागार के मुख्य रूप थे ।

3. जल निकास प्रणाली - सिन्धु घाटी की जल निकास की याजे ना अत्यधिक उच्च कोटि की थी । नगर में नालियों का जाल बिछा हुआ था सड़क और गलियों के दोनो ओर ईटो की पक्की नालियॉ बनी हुई थी । मकानों की नालियॉं सड़को या गलियों की नालियों से मिल जाती थी । नालियों को ईटो और पत्थरों से ढकने की भी व्यवस्था थी । इन्हें साफ करने स्थान-स्थान पर गड्ढ़े या नलकूप बने हुये थे । इस मलकूपों में कूडा करकट जमा हो जाता था और नालियों का प्रवाह अवरूद्ध नहीं होता था । नालियों के मोडो और संगम पर ईटो का प्रयोग होता था ।

Similar questions