हड़प्पा वासी कासे से मूर्तियां कैसे बनाते थे
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सिन्धु घाटी सभ्यता में कला व शिल्प काफी विकसित था, कई स्थानों से उत्तम कलाकृतियों की प्राप्त हुई है। सिन्धु घाटी सभ्यता में बर्तन का निर्माण, मूर्तियों का निर्माण व मुद्रा का निर्माण इत्यादि प्रमुख शिल्प थे। सिन्धु घाटी सभ्यता में कांस्य कलाकृतियाँ, मृणमूर्तियाँ, मनके की वस्तुएं व मुहरें प्राप्त हुई हैं।
Explanation:
मिट्टी से निर्मित मूर्तियाँ
सिन्धु घाटी सभ्यता में प्राप्त अधिकतर मृणमूर्तियाँ पकी मिटटी से बनी हैं। मिट्टी से बनी मूर्तियों का उपयोग खिलौने के रूप में किया जाता था, यह मूर्तियाँ पूजा की प्रतिमा के रूप में भी बनायीं जाती थी। मिट्टी से बनी मूर्तियों को मृणमूर्तियाँ कहा जाता है। हड़प्पा संस्कृति में मनुष्य के अलावा पशु और पक्षियों, बैल, भैंसा, भेड़, बकरी, बाघ, सूअर, गैंडा, भालू, मोर, बन्दर, तोता, बतख और कबूतर की मृणमूर्तियाँ भी प्राप्त हुई हैं। मानव की मृणमूर्तियाँ ठोस हैं जबकि पशुओं की मृणमूर्तियाँ अन्दर से खोखली हैं।
धातु से बनी मूर्तियाँ
मोहनजोदड़ो, लोथल, कालीबंगा और चंहूदड़ो से धातु से बनी मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं।मोहनजोदड़ो से एक कांसे से बनी नर्तकी की मूर्ति प्राप्त हुई है, इसके गले में कंठहार है और हाथों में चूड़ियाँ व कंगन हैं।
पत्थर से बनी मूर्तियाँ
मोहनजोदड़ो से पत्थर से निर्मित एक पुजारी की मूर्ति प्राप्त हुई है, इस मूर्ति की मूछें नहीं हैं परन्तु दाढ़ी है। मूर्ति के बांयें कंधे पर शाल बनायीं गयी है।इस मूर्ति की आँखे आधी खुली हुई हैं, निचले होंठ मोटे, और उसकी नज़र नाक के अगले हिस्से पर टिकी हुई है। सिन्धु घाटी सभ्यता में एक संयुक्त पशु की मूर्ति भी प्राप्त हुई है, जिसका शरीर भेड़ का सिर हाथी का है। महाराष्ट्र के दैमाबाद से ताम्बे का रथ चलाता मनुष्य, सांड, गैंडा और हाथी की मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं।