हड़ताल के कारण जनजीवन पर पड़ने वाले प्रभाव पर विचार व्यक्त करते हुए समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए
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औद्योगिक माँगों की पूर्ति कराने के लिए हड़ताल (general strike) मजदूरों का अत्यंत प्रभावकारी हथियार है। औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 में हड़ताल की परिभाषा करते हुए लिखा गया है कि औद्योगिक संस्थान में कार्य करनेवाले कारीगरों द्वारा (जिनकी नियुक्ति कार्य करने के लिए हुई है) सामूहिक रूप से कार्य बंद करने अथवा कार्य करने से इनकार करने की कार्यवाही को हड़ताल कहा जाता है।
हड़ताल के अविभाज्य तत्वों में-औद्योगिक मजदूरों का सम्मिलित होना, कार्य का बंद होना अथवा कार्य करने से इन्कार करना और समान समझदारी से सामूहिक कार्य करने की गणना होती है। सामूहिक रूप से कार्य पर से अनुपस्थित रहने की क्रिया को भी हड़ताल की संज्ञा दी जाती है। हड़ताल के अंतर्गत उपर्युक्त तत्वों का उसमें समावेश है।
आम तौर पर मजदूरों ने मजदूरी, बोनस, मुअत्तली, निष्कासनआज्ञा, छुट्टी, कार्य के घंटे, ट्रेड यूनियन संगठन की मान्यता आदि प्रश्नों को लेकर हड़तालें की हैं। श्रमिकों में व्याप्त असंतोष की अधिकतर हड़तालों का कारण हुआ करता है। इंग्लैंड में श्रमिक संघों के विकास के साथ साथ मजदूरों में औद्योगिक उमंग अर्थात् उद्योगों में स्थान बनाने की भावना तथा राजनीतिक विचारों के प्रति रुचि रखने की प्रवृत्ति भी विकसित हुई। परंतु संयुक्त पूँजीवादी प्रणाली (Joint stock system) के विकास ने मजदूरों में असंतोष की सृष्टि की। इस प्रणाली से एक ओर जहाँ पूँजी के नियंत्रण एवं स्वामित्व में भिन्नता का प्रादुर्भाव हुआ, वहीं दूसरी ओर मालिकों और श्रमिकों के व्यक्तिगत संबध भी बिगड़ते गए। फलस्वरूप द्वितीय महायुद्ध के बाद मजदूरी, बोनस, महँगाई आदि के प्रश्न हड़तालों के मुख्य कारण बने। इंग्लैंड में हड़तालें श्रमसंगठनों की मान्यता एवं उद्योग के प्रबंध में भाग लेने की इच्छा का लेकर भी हुई हैं।
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इस व्यवस्था के कारण एक तरफ पूंजी के नियंत्रण और स्वामित्व में मतभेद उभर कर सामने आए, दूसरी तरफ मालिकों और श्रमिकों के बीच व्यक्तिगत संबंध भी बिगड़ गए। परिणामस्वरूप, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, वेतन, बोनस, मुद्रास्फीति आदि के प्रश्न हड़तालों का मुख्य कारण बन गए।
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प्रति,
संपादक महोदय
नव भारत टाइम्स
नई दिल्ली 11001
विषय :- हड़ताल से जनजीवन पर पड़ने वाले प्रभाव पर
संपादक को पत्र
श्रीमान,
आपके प्रतिष्ठित समाचार पत्र के माध्यम से पूंजी के नियंत्रण और स्वामित्व में मतभेद उभरे, दूसरी ओर मालिकों और श्रमिकों के बीच व्यक्तिगत संबंध भी बिगड़े। परिणामस्वरूप, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, मजदूरी, बोनस, मुद्रास्फीति आदि के प्रश्न हड़तालों के मुख्य कारण बन गए। है। कार्य से अनुपस्थित रहने की क्रिया को हड़ताल भी कहते हैं। हड़ताल के तहत उपरोक्त तत्वों को इसमें शामिल किया गया है। आम तौर पर, मज़दूरों ने वेतन, बोनस, मुत्तली, बेदखली आदेश, छुट्टी, काम के घंटे, ट्रेड यूनियन संगठन की मान्यता आदि जैसे सवालों पर हड़तालें की हैं। अधिकांश हड़तालें श्रमिकों में असंतोष का कारण हैं। इंग्लैण्ड में श्रमिक संघों के विकास के साथ-साथ औद्योगिक उत्साह अर्थात् उद्योगों में स्थान बनाने की भावना तथा राजनीतिक विचारों में रुचि लेने की प्रवृत्ति भी विकसित हुई। अतः आपसे निवेदन है कि उपरोक्त विचारों को अपने समाचार पत्र में प्रकाशित करने की कृपा करें। इसके लिए मैं आपका आभारी रहूंगा।
सधन्यवाद।
ईमानदारी से,
तेज कुमार,
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