हवा पर श्लोक 5 संस्कृत में
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1. सर्वे भवन्तु सुखिन:
सर्वे सन्तु निरामया:।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु
मा कश्चिद् दु:ख भाग्भवेत्॥
अर्थ : सभी सुखी हों,
सभी निरोगी हों,
सभी को शुभ
दर्शन हों और कोई
दु:ख से ग्रसित न हो.
2.अष्टादस पुराणेषु
व्यासस्य वचनं द्वयम् ।
परोपकारः पुण्याय
पापाय परपीडनम् ॥
अर्थ : अट्ठारह पुराणों में
व्यास के दो ही वचन हैं :
1. परोपकार ही पुण्य है. और
2. दूसरों को दुःख देना पाप है
3.गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः
गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म,
तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
अर्थ : गुरु ब्रह्मा है,
गुरु विष्णु है, गुरु ही शंकर है;
गुरु ही साक्षात् परम् ब्रह्म है;
उन सद्गुरु को प्रणाम.
4.यत्र नार्यस्तु पूज्यंते
रमंते तत्र देवताः।
यत्र तास्तु न पूज्यंते
तत्र सर्वाफलक्रियाः॥
अर्थ : जहाँ नारी की पूजा होती है,
वहां देवता निवास करते हैं.
जहाँ इनकी पूजा नहीं होती है,
वहां सब व्यर्थ है.
5.स्वगृहे पूज्यते मूर्खः
स्वग्रामे पूज्यते प्रभुः।
स्वदेशे पूज्यते राजा
विद्वान्सर्वत्र पूज्यते॥
अर्थ : मूर्ख की अपने घर पूजा होती है,
मुखिया की अपने गाँव में पूजा होती है,
राजा की अपने देश में पूजा होती है
विद्वान् की सब जगह पूजा होती है.
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