हवलदार साहब कितने साल तक उस कस्बे से गुजरते थे
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हालदार साहब हर पंद्रहवें दिन कंपनी के काम के सिलसिले में एक कस्बे से गुजरते थे। जहाँ बाज़ार के मुख्य चौराहे पर नेताजी की मूर्ति लगी थी।
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हालदार साहब कितने साल तक उस कस्बे से गुजरते रहे।
हालदार साहब लगभग दो साल तक अपने काम के सिलसिले में उस कस्बे से गुजरते रहे।
व्याख्या :
‘नेताजी का चश्मा’ पाठ में हालदार साहब कहानी के मुख्य पात्र हैं। कहानी के अन्य पात्रों में कैप्टन चश्मे वाला तथा पान वाला है।
यह कहानी एक कस्बे के चौराहे पर लगे नेता जी की मूर्ति पर आधारित है। पत्थर की मूर्ति पर पत्थर का चश्मा नहीं लगा था। कैप्टन चश्मे वाला एक चश्मे बेचने वाला व्यक्ति उस पर अपनी फेरी के चश्मे बदल बदल कर लगा देता था। ऐसा इसलिए पता था क्योंकि उसे बिना चश्मे की नेता जी की मूर्ति अच्छी नहीं लगती। वह एक देशभक्त व्यक्ति था।
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