हवलदार साहब द्वारा नेता जी की मूर्ति में इतनी रुचि लेने का क्या कारण था स्पष्ट कीजिए
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नेताजी एक स्वतंत्रता सेनानी थे । उनकी मूर्ति को देखकर ही उनके नारे "दिल्ली चलो", "तुम मुझे खून दो, मै तुम्हे आज़ादी दूंगा" याद आते है और देशभक्ति की भावना जागृत हो जाती है। चौराहे पर नेताजी की मूर्ती लगी हुई थी जिसपर चश्मा ना था। कैप्टन चश्मेवाला चश्मे बेचता था।उसे नेताजी की मूर्ति बिना चश्मे की अच्छी नहीं लगती थी। वह अपने चश्मों में से एक चश्मा नेताजी की आँखो पर लगा देता था।जब कोई ग्राहक नेताजी का चश्मा मांगता तो वह उनकी आँखो पर नया चश्मा लगा देता। हालदार साहब पानवाले की दुकान पर बैठकर नेताजी की आँखों पर रोज़ नये चश्मे देखते थे। वह सोचते थे की नेताजी का चश्मे कौन और क्यों बदलता रहता था। यही उनकी नेताजी की मूर्ती मै रूचि लेने का कारण था।
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