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एक व्यक्ति तभी स्वस्थ कहलाता है जब वह समग्र स्वस्थ है अर्थात शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति को ही अच्छा स्वास्थ्य कहा जाता हैं. स्वास्थ्य के लिए स्वच्छता को परिहार्य शर्त माना गया हैं. आंतरिक तथा बाहरी स्वच्छता से हम स्वस्थ रह सकते हैं. स्वस्थ व्यक्ति देश के अच्छे नागरिक होते है वही स्वास्थ्य की कमी उन्हें गरीब, अयोग्य और उपेक्षित बना देती हैं.
किसी समाज या देश की तरक्की तभी सम्भव है जब उसके नागरिक पूरी तरह से स्वस्थ हो. विश्व इतिहास के अध्ययन से यह प्रमाणित हो जाता है कि जब जब किसी देश के नागरिक स्वस्थ थे तब तब वह देश उन्नतिशील, स्मृद्धिशील, सभ्य व सुसंकृत बन पाया हैं. जीने का एक अर्थ यह भी है कि वर्तमान के पलों को जीए उनके सह्भागी बने यह तभी हो सकता हैं जब हम स्वस्थ हो. अस्वस्थता व्यक्ति के जीवन का अभिशाप मानी जाती हैं क्योंकि अस्वस्थ व्यक्ति देश की तरक्की में बाधक ही होता हैं.
हमारे देश में स्वास्थ्य को लेकर प्रसिद्ध कहावते ‘तन चंगा तो मन चंगा’ व स्वास्थ्य ही धन है, पहला सुख निरोगी काया व्यक्ति के जीवन में स्वस्थता का क्या महत्व है अच्छी तरह से समझा देती हैं. यदि आपके पास अपार धन दौलत आदि हो मगर यदि स्वास्थ्य अच्छा नहीं है तो मान के चलिए आप जीवन के आनन्द को कभी अनुभव नहीं कर पाएगे. व्यक्ति स्वस्थ है तो वह शिक्षा, गाड़ी, बंगला, जमीन हर इच्छित वस्तु को पा सकता हैं. मगर ये चीजे है और स्वास्थ्य अच्छा नहीं है तो सब निरर्थक हैं.
केंद्र सरकार ने विगत कुछ स्वस्थ भारत के सपने को साकार करने के लिए कई कार्यक्रम चलाएं हैं. विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत लगभग 50 करोड़ भारतीयों को निशुल्क चिकित्सा विभिन्न स्कीम के माध्यम से दी जा रही हैं.
प्रधानमंत्री सुरक्षीत मातृ अभियान के तहत अस्सी लाख गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण तथा जोखिमवाले गर्भधारण की पहचान कर उन्हें उपयुक्त चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध करवाई हैं. प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत 50 लाख से अधिक गर्भवती महिलाओं को ६००० रूपये के नकद प्रोत्साहन प्रदान किये गये हैं.
स्वस्थ भारत अभियान के तहत मिशन इन्द्रधनुष के चौथे चरण में देश के 528 जिलों में जिसमें लगभग 80 लाख महिलाओं तथा तीन करोड़ से अधिक बालकों को सात रोगों से बचाव के लिए टीकाकरण कार्यक्रम चलाया गया.भारत के लोगों के स्वास्थ्य स्तर को सुधारने के लिए न केवल अच्छी एवं मुफ्त चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं बल्कि प्रिवेंटिव हेल्थकेयर के तहत 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाकर स्वास्थ्य के प्रति आमजन में जनजागरूकता का प्रचार भी किया गया.
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी स्वास्थ्य के प्रति बेहद जागरूक थे उन्होंने एक साफ़ सुथरे भारत की कल्पना की थी, जिसमें प्रत्येक भारतीय अपने आस पास की स्वच्छता पर ध्यान दे. यदि लोग इसे जन आंदोलन और अपनी दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बनाएं तो बीमारियों को खत्म किया जा सकता हैं तथा स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत की संकल्पना साकार हो सकती हैं. 2014 मे पीएम मोदी द्वारा स्वच्छता अभियान की शुरुआत इसी मिशन को पूरा करने की पहल थी जो काफी हद तक सफल भी रही.
नयें भारत के निर्माण स्वच्छता एक अहम पहचान है नागरिक तन से स्वच्छ तथा स्वस्थ रहने के साथ ही मन से भी स्वच्छ रहे तभी अपने अपने गाँव, शहर, नगर, राज्य और देश की समस्त गंदगी और कूड़े करकट को खत्म कर स्वस्थ भारत बनाया जा सकता हैं.
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