Hello buddies. Here I am presenting my first poem written by me myself.
यह कैसी तेरी माया रे ,
स्त्री पर खतरा मंडराया रे।
जन्म दिया जिसने सबको,
उसी पर दुख का साया रेे।
ये कैसी तेरी माया रे।
जन्म लेने से घबराती,
कुछ तो कोख में मर जाती।
स्त्री जो अशुभ मानी जाती,
उसी की पवित्र काया रे।
ये कैसी तेरी माया रे।
दिल में जिसके ममता निहारे,
पीड़ा में वह दिन गुज़रे,
केवल अश्रु है उसके सहारे।
क्यों उसे इतना तड़पाया रे।
ये कैसी तेरी माया रे।
घूट-घुटकर पीड़ा सहती,
पुत्र के लिए अश्रु पीती,
फिर भी वह चुप रहती।
क्यों उसपर पहरा लगाया रे।
यह कैसी तेरी माया रे।
Hope you all like it.
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super poem liked it very much
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