hello guys please write in 100-150 words on the topic , (parvat pradesh me pavas kavita ke adhar par prakratik saundrya ka warnan kre.)(this topic is from hindi textbook of class 10)
please its very urgent . dont spam please. write only those who know the ans others not allowed or will be reported
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Answer:वर्षा ऋतु में मौसम बदलता रहता है। तेज़ वर्षा होती है। जल पहाड़ों के नीचे इकट्ठा होता है तो दर्पण जैसा लगता है। पर्वत मालाओं पर अनगिनत फूल खिल जाते हैं। ऐसा लगता है कि अनेकों नेत्र खोलकर पर्वत देख रहा है। पर्वतों पर बहते झरने मानो उनका गौरव गान गा रहे हैं। लंबे-लंबे वृक्ष आसमान को निहारते चिंतामग्न दिखाई दे रहे हैं। अचानक काले-काले बादल घिर आते हैं। ऐसा लगता है मानो बादल रुपी पंख लगाकर पर्वत उड़ना चाहते हैं। कोहरा धुएँ जैसा लगता है। इंद्र देवता बादलों के यान पर बैठकर नए-नए जादू दिखाना चाहते हैं।!!
!कवि कवि ने इस कविता में ऐसा वर्णन किया है जैसे लग रहा है कि प्रकृति सजीव हो उठी हो! कवि कहता है कि वर्षा ऋतु में प्रकृति का रूप हर पल बदल रहा है अभी वर्षा होती है तो कभी धूप निकल आती है पर्वतों पर लगे हजारों फूल ऐसे लग रहे हैं जैसे पर्वतों की आंखें हो और वह इन आंखों के सहारे अपने आप को Apne charanon per pahle darpan rupee talab mein dekh रहे हो पर्वत से गिर रहे धरने कल कल की मधुर आवाज कर रही हैं जो नस नस को प्रशंसा से भर रहे हैं! पर्वतों पर उगे हुए शांत आकाश को ऐसे देख रहे हैं जैसे वह उसे छूना जा रहे हैं घनी बारिश के कारण ऐसा लग रहा है कि धुंध के कारण पेड़ पौधे उड़ गए हैं अर्थात गायब हो गए हैं!! चारों ओर धुआं होने के कारण लग रहा है कि तालाब में आग लग गई है! ऐसा ऐसा लग रहा है कि इंद्र भी अपना बादल रूपी माल लेकर इधर-उधर जादू का खेल दिखा रहे हैं
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