hello guys
pls tell me about rupak alankar.
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जहां रूप और गुण की अत्यधिक समानता के कारण उपमेय और उपमान का अभेद आरोप किया जाए वहां रूपक अलंकार होता है।
इसमें साधारण धर्म और वाचक शब्दो प्रयोग नहीं होता।
उदाहरण:
➡️ शशि -मुख पर घूंघट डाले।
plzzz mark my answer as a brainliest....
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RadhaG:
no mention
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रूपक साहित्य में एक प्रकार का अर्थालंकार है जिसमें बहुत अधिक साम्य के आधार पर प्रस्तुत में अप्रस्तुत का आरोप करके अर्थात् उपमेय या उपमान के साधर्म्य का आरोप करके और दोंनों भेदों का अभाव दिखाते हुए उपमेय या उपमान के रूप में ही वर्णन किया जाता है। इसके सांग रूपक, अभेद रुपक, तद्रूप रूपक, न्यून रूपक, परम्परित रूपक आदि अनेक भेद हैं।
उदाहरण- चरन कमल बन्दउँ हरिराई
अन्य अर्थ
व्युत्पत्ति : [सं०√रूप्+णिच्+ण्वुल्-अक] जिसका कोई रूप हो। रूप से युक्त। रूपी।
१. किसी रूप की बनाई हुई प्रतिकृति या मूर्ति।२. किसी प्रकार का चिह्न या लक्षण।३. प्रकार। भेद।४. प्राचीन काल का एक प्रकार का प्राचीन परिमाण।५. चाँदी।६. रुपया नाम का सिक्का जो चाँदी का होता है।७. चाँदी का बना हुआ गहना।८. ऐसा काव्य या और कोई साहित्यिक रचना, जिसका अभिनय होता हो, या हो सकता हो। नाटक। विशेष—पहले नाटक के लिए 'रूपक' शब्द ही प्रचलित था और रूपक के दस भेदों में नाटक भी एक भेद मात्र था। पर अब इसकी जगह नाटक ही विशेष प्रचलित हो गया है। रूपक के दस भेद ये हैं—नाटक प्रकरण, भाण, व्यायोग, समवकार, डिम, ईहामृग, अंक, वीथी और प्रहसन।९. बोल-चाल में कोई ऐसी बनावटी बात, जो किसी को डरा धमकाकर अपने अनुकूल बनाने के लिए कही जाय। जैसे—तुम जरो मत, यह सब उनका रूपक भर है। क्रि० प्र०—कसना।—बाँधना।१०. संगीत में सात मात्राओं का एक दो ताला ताल, जिसमें दो आघात और एक खाली होता है।
उदाहरण- चरन कमल बन्दउँ हरिराई
अन्य अर्थ
व्युत्पत्ति : [सं०√रूप्+णिच्+ण्वुल्-अक] जिसका कोई रूप हो। रूप से युक्त। रूपी।
१. किसी रूप की बनाई हुई प्रतिकृति या मूर्ति।२. किसी प्रकार का चिह्न या लक्षण।३. प्रकार। भेद।४. प्राचीन काल का एक प्रकार का प्राचीन परिमाण।५. चाँदी।६. रुपया नाम का सिक्का जो चाँदी का होता है।७. चाँदी का बना हुआ गहना।८. ऐसा काव्य या और कोई साहित्यिक रचना, जिसका अभिनय होता हो, या हो सकता हो। नाटक। विशेष—पहले नाटक के लिए 'रूपक' शब्द ही प्रचलित था और रूपक के दस भेदों में नाटक भी एक भेद मात्र था। पर अब इसकी जगह नाटक ही विशेष प्रचलित हो गया है। रूपक के दस भेद ये हैं—नाटक प्रकरण, भाण, व्यायोग, समवकार, डिम, ईहामृग, अंक, वीथी और प्रहसन।९. बोल-चाल में कोई ऐसी बनावटी बात, जो किसी को डरा धमकाकर अपने अनुकूल बनाने के लिए कही जाय। जैसे—तुम जरो मत, यह सब उनका रूपक भर है। क्रि० प्र०—कसना।—बाँधना।१०. संगीत में सात मात्राओं का एक दो ताला ताल, जिसमें दो आघात और एक खाली होता है।
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