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here is question⏬
मानुष हौं तो वही रसखानि बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन।
जौ पसु हौं तो कहा बस मेरो चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥
पाहन हौं तो वही गिरि को जो कियो हरिछत्र पुरंदर धारन।
जौ खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिंदी कूल कदंब की डारन।।
Iski vakhya batao
Answers
✨मानुष हौं तो वही रसखानि बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन।
जौ पसु हौं तो कहा बस मेरो चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥
पाहन हौं तो वही गिरि को जो कियो हरिछत्र पुरंदर धारन।
जौ खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिंदी कूल कदंब की डारन।।
:- प्रस्तुत समय में रसखान यह इच्छा व्यक्त करते हैं कि वह अगले जन्म में उन्हें जो भी रूप में ले वृंदावन से ही जुड़े रहना चाहते हैं। वे कहते हैं कि मैं यदि मनुष्य बनो तो वृंदावन में वह आपके ग्वाले के साथ रहूं। यदि पशु भी बनो तो इसमें मेरा कोई वश नहीं पर मैं इतना चाहता हूं कि मैं सदा नंद बाबा की गायों के बीच ही चलने वाला कोई पशु बनू। यदि मुझे पत्थर भी बनना पड़े तो मैं गिरिराज गोवर्धन पर्वत का पत्थर बनना चाहूंगा क्योंकि उसे भगवान कृष्ण ने इंद्र से रक्षा करने छाता बनाकर हाथ में उठा लिया था। यदि मुझे पक्षी बनना पड़े तो मैं यमुना तट पर कदम के पेड़ों में निवास करना चाहता हूं क्योंकि इसके निकट ही कृष्ण रास रचाया करते थे।