Hindi, asked by Prisha347, 11 months ago

HELLO MATES



PLEASE HELP


समाज में होने वाली कोई गतिविधि आपको विचलित करती है तथा सोचने पर मजबूर करती है इस विषय पर लेख या कविता के रूप में अपने विचार प्रकट करें तथा उसका समाधान भी खोजें




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ITS URGENT




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Prisha347: PLEASE ANSWER GUYS
Prisha347: ITS VERY IMPORTANT

Answers

Answered by AbsorbingMan
1

आज उसने मुझे फिर मारा …..

कहता कि तू धोकेबाज़ है ,

इस कलयुग में तूने जो जनम लिया ,

यही तेरा सबसे घोर अपराध है ।

आज उसने मुझे फिर मारा …..

कहता कि तू एक चोर है ,

अपने ही माँ-बाप की तरह ,

मेरी ज़िंदगी से जुड़ा एक दूसरा छोर है ।

आज उसने मुझे फिर मारा …..

कहता कि तू मेरी रातों का संताप है ,

मेरे जीवन में आने वाली हर खुशियों को ,

ग्रहण लगाने का तू ही एक बदनुमा दाग है ।

मैं बहुत देर तक उसके इन शब्दों को ……

सीने में शूल की भाँति चुभाती रही ,

अपने इन नैनों से हज़ारों आँसुओं की माला को ,

मन ही मन कहीं अपने भीतर पहनाती रही ।

मैं फिर से रोने लगी ये सोच …….

कि कितना कठिन होता है निभाना …….ऐसी शादी के रिश्ते का बोझ ,

जिसमे उम्र भर पत्नी अपने पति का अनुसरण करे ,

और अंत में उसी की गालियों को बसर कर ….. अपनी अंतिम साँसें भरे ।

कब ख़तम होगा इस “घरेलू हिंसा” का देह व्यापार ?

जिसमे जीत हमेशा पुरुषार्थ की हो ……और स्त्री पर लगे व्याभिचार ,

कब तक वो यूँही मुझपर इस तरह से लात-घूँसे बरसाकर ,

ये साबित करता रहेगा कि भूल की मैंने उसका साथ पाकर ।

आज उसने मुझे फिर मारा …..

कसूर सिर्फ इतना था कि मैंने उसकी बात का समर्थन नहीं किया ,

आज उसने मुझे फिर मारा …..

कसूर सिर्फ इतना था कि मैंने अपने मन में दबी आवाज़ को उसके आगे थोड़ा बुलंद किया ।

मगर मैं जानती हूँ कि …..हर बार की भाँति इस बार भी मैं फिर से यूँही घुट कर रह जाऊँगी ,

हर बार की भाँति इस बार भी मैं …….इस शादी के सात वचनों को गले लगाऊँगी ,

क्योंकि अब ये मेरी नियति ……और उसके पुरुषार्थ का विषैला खेल है ,

जिसमे हिन्दुस्तानी सभ्यता की ……एक ज्वलंत ज़हरीली “घरेलू हिंसा” की अमर बेल है ॥


Prisha347: HEY IS IT FROM THE WEB
Prisha347: ????
Prisha347: Please Tell
Prisha347: THEN ONLY I WILL FARE IT
AbsorbingMan: realistic
Prisha347: PLEASE BE HONEST
Prisha347: I REQUEST
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Prisha347: okss
Prisha347: Thanks
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