Hindi, asked by sana00070, 11 months ago

HELLO.......❤

राजा सगर और माँ गंगा की कथा

KRIPIYA KAR KE SAHI JAVAAB DIJIYE........☺​

Answers

Answered by panesarh989
2

Answer:

रामायण के अनुसार इक्ष्वाकु वंश में सगर नामक प्रसिद्ध राजा हुए। वह भगवान राम और भगीरथ के पूर्वज थे। राजा सगर की दो रानियां थीं- केशिनी और सुमति। लेकिन राजा सगर की कोई संतान नहीं थी, जिसकी वजह से वह काफी दुखी रहते थे। एक दिन राजा सगर रानियों समेत हिमालय पर संतान प्राप्ति के लिए तपस्या करने चले गए।

1/5मिला 60 हजार पुत्रों का वरदान

ऋषि की बात मानकर राजा सगर अपनी दोनों रानियों के साथ हिमालय पर्वत पर जाकर पुत्र कामना से तपस्या करने लगे। भगवान ब्रह्माजी के मानस पुत्र महर्षि भृगु ने उन्हें वरदान दिया कि एक रानी को साठ हजार अभिमानी पुत्र होंगे और दूसरी रानी से एक पुत्र होगा जो वंश को आगे चलाएग।

2/5घोड़े की सुरक्षा में किया नियुक्त

वरदान के कुछ दिन बाद रानी सुमति ने तूंबी के आकार के एक गर्भ-पिंड को जन्म दिया। जिसके फटने पर साठ हजार पुत्रों का जन्म हुआ। जबकि केशिनी ने एक पुत्र को जन्म दिया। जब सारे पुत्र युवा हो गए तो राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ किया। उन्होंने अपने साठ हजार पुत्रों को अश्वमेध के घोड़े की सुरक्षा में नियुक्त कर दिया।

Answered by kunjika158
3

Answer:

रामायण के अनुसार इक्ष्वाकु वंश में सगर नामक प्रसिद्ध राजा हुए। वह भगवान राम और भगीरथ के पूर्वज थे। राजा सगर की दो रानियां थीं- केशिनी और सुमति। लेकिन राजा सगर की कोई संतान नहीं थी, जिसकी वजह से वह काफी दुखी रहते थे। एक दिन राजा सगर रानियों समेत हिमालय पर संतान प्राप्ति के लिए तपस्या करने चले गए।

की बात मानकर राजा सगर अपनी दोनों रानियों के साथ हिमालय पर्वत पर जाकर पुत्र कामना से तपस्या करने लगे। भगवान ब्रह्माजी के मानस पुत्र महर्षि भृगु ने उन्हें वरदान दिया कि एक रानी को साठ हजार अभिमानी पुत्र होंगे और दूसरी रानी से एक पुत्र होगा जो वंश को आगे चलाएग।

वरदान के कुछ दिन बाद रानी सुमति ने तूंबी के आकार के एक गर्भ-पिंड को जन्म दिया। जिसके फटने पर साठ हजार पुत्रों का जन्म हुआ। जबकि केशिनी ने एक पुत्र को जन्म दिया। जब सारे पुत्र युवा हो गए तो राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ किया। उन्होंने अपने साठ हजार पुत्रों को अश्वमेध के घोड़े की सुरक्षा में नियुक्त कर दिया।

देवराज इंद्र ने उस घोड़े को छलपूर्वक चुराकर कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया। अभिमान से चूर राजा सगर ने साठ हजार पुत्रों ने पृथ्वी को खोदना आरंभ कर दिया और पाताल में पहुंच गए। राजा के पुत्रों ने कपिल मुनि के आश्रम में यज्ञ का घोड़ा बंधा हुआ देखा। इन्होंने कपिल मुनि को ही चोर मान लिया और उन्हें अपमानित करने लगे।

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