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धार्मिक एकता देश को स्वतंत्र रखने में सहायक.
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रांची : अनेकता में एकता हमारे भारत देश की विशेषता है। स्वामी विवेकानंद कहते थे कि जिस बाग में तरह-तरह के फूल हों, उसकी खूबसूरती अद्भुत होती है। हमारे देशरूपी बाग में अनेक धर्मों ने फूलों की तरह खिलकर इसे खूबसूरत गुलदस्ते का रूप दिया है। यही धार्मिक एकता, सद्भाव हमारी विशेषता है, जिसके बूते हम कहते हैं 'सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा।' यह बातें शनिवार को मोरहाबादी स्थित रामकृष्ण मिशन आश्रम में सर्वधर्म सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद राज्यपाल डॉ. सैय्यद अहमद ने कही। डॉ. अहमद ने कहा कि सभी धर्मो ने अच्छाई को अपनाने व बुराई का त्याग करने की नसीहत दी है। सभी धर्म में सत्य, दया, अहिंसा, ईमानदारी, प्रेम, शांति व सहयोग की बात कही गई है। अत: धार्मिक विभेद की बात करना अपूर्ण ज्ञान का द्योतक है। हम धर्म को पूर्णता से समझेंगे तो फिर कोई संदेह हमारे मन में नहीं रहेगा। इसके अलावा हमें अपनी धार्मिक सीमा को भी समझना होगा। हमें इस बात का हमेशा ख्याल रखना चाहिए कि हमारे कार्य से किसी की धार्मिक भावना को ठेस न लगे।
स्वामी विवेकानंद की 150वीं जन्म वार्षिकी पर आश्रम के सचिव स्वामी शशांकानंद ने कहा कि जिस प्रकार सभी नदियां विभिन्न टेढ़े-मेढ़े रास्तों से चलकर अंत में समुद्र में मिल जाती हैं, उसी प्रकार धर्मो का गंतव्य एक ही है। भगवान श्रीरामकृष्ण ने विभिन्न धर्मो की साधना कर इस बात की अनुभूति प्राप्त की थी कि सभी ईश्वर सत्य है और ईश्वर प्राप्ति ही जीवन का उद्देश्य है। इसलिए उन्होंने कहा था जितने मत उतने पथ और सभी धर्म सत्य हैं। वर्तमान में मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है, जो देश की एकता एवं अखंडता के लिए बहुत जरूरी है। स्वामी विवेकानंद की बातों को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि जनसाधारण की अवहेलना सबसे बड़ा राष्ट्रीय पाप है। सभा की शुरूआत वैदिक मंत्रोचार व समापन सर्वधर्म प्रार्थना तथा डॉ. सिद्धार्थ मुखर्जी के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। इस अवसर पर विभिन्न धर्म के सैकड़ों लोग उपस्थित थे।