helping others mentally in this pandemic essay in 50-80 words hindi project pls help
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देश में 21 दिन का लॉकडाउन है। काम-धंधा बंद है तो रोज मजदूरी करके खाने वालों पर सबसे बुरी मार पड़ी है। इतनी बचत भी नहीं थी कि महीने भर गुजारा हो जाता। कई परिवारों के भूखों मरने की नौबत आ चुकी थी। सरकारें मदद पहुंचा रही हैं मगर सबतक कहां सरकार पहुंच पाती है। तो ऐसे में आगे आते हैं कुछ भले लोग। जिनके पास रुपया-पैसा भले ज्यादा ना हो, दिल बहुत बड़ा होता है। ये देशप्रेम की भावना ही तो है जो एक किसान को अपने सबसे प्यारी चीज देश के नाम कर देने का साहब देती है। ये देशप्रेम ही तो है जब एक नौकरीपेशा काम से वक्त निकालकर गरीबों के घर खाना पहुंचाता है। ये मानवता की सेवा ही तो है तो जहां पूरा गांव रोज करीब एक हजार लोगों को ऐसे संकट की घड़ी में भूखे सोने नहीं देता।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन लोगों को नोटिस कर रहे हैं और मौका पाकर सराहते भी हैं। पीएम मोदी ने अपने ट्विटर हैंडल से कुछ लोगों को जवाब दिया है। दरअसल एक दिन पहले, उन्होंने लोगों से कहा था कि ''यदि सचमुच में आपके मन में इतना प्यार है और मोदी को सम्मानित ही करना है तो एक गरीब परिवार की जिम्मेदारी कम से कम तब तक उठाइए, जब तक कोरोना वायरस का संकट है। मेरे लिए इससे बड़ा सम्मान कोई हो ही नहीं सकता।' इसी के जवाब में बहुत से लोगों ने बताया कि वे कैसे लोगों तक मदद पहुंचा रहे हैं। शायद उन तस्वीरों को देख प्रधानमंत्री का दिल भी भावुक हो गया। पवन कुमार ने अपनी कॉलोनी में 150 फूड पैकेट्स बांटे हैं। उन्होंने यह तस्वीर साझा की।ये महाराष्ट्र की रहने वाली शशि पाठक के घर में बना नाश्ता है। जो पुलिसवालों को दिया जाता है। आखिर जो हमारे लिए ड्यूटी कर रहे हैं, उनका ध्यान रखना भी तो हमारी ड्यूटी है। पीएम मोदी ने शशि के लिए लिखा कि 'कोरोना महामारी के समय देश सेवा का यह एक अनुपम उदाहरण है।'एक किसान हैं। उन्होंने टमाटर, गोभी के अलावा अन्य कई सब्जियां उगा रखी हैं। लॉकडाउन हुआ तो लोगों को सब्जियों की दिक्कत ना हो, इसके लिए वह खेत से मुफ्त में सब्जी ले जाने देते हैं। पीएम ने इस बारे में जानकर कहा, 'देशवासियों के ऐसे सुविचार और शुभकामनाएं ही तो सबसे बड़ा संबल हैं।