India Languages, asked by demon445, 11 months ago

Hey guys, Essay only in hindi (for 25 points)Azaadi ka mahatv •••No spamming •••

Answers

Answered by gauravprakash231
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Answer:

हमारे पुरखो ने अपनी कुर्बानी से अंग्रेजो से लड कर आजादी को पाया था

अनेक परिवारो के अनेक गुमनाम व्यक्तियो ने अपनी जान कुर्बान कर दी ओर अंत

मे 1947 मे भारत को आजादी मिली / 1947 से 2018 तक भले ही हम आज़ाद भारत

मे जी रहे है लेकिन अपनो के ही ग़ुलाम है / राजनीतिक दलो ने भारत देश का

सरकारी खजाना दिल खोल कर अपनो पर लुटाया ओर सरकारी अफसरो ने देश की जनता

से रिश्वत मे अरबो खरबो की संपति कमाई / देश के नेताओ ने देश के विकास की

बजाय अपना विकास किया ओर अपनी अतुल संपति विदेशो मे जमा करा दी देश का

दुर्भाग्य है की देश की युवा पीढी राजनीति को अब भी कीचड़ समझती है ओर

राजनीति बाहुबली धनबल के सहारे ही चलता है राजनीति मे ईमानदारी ओर जन

सेवा शब्द खतम हो चुके है / नगर पालिका से ले कर केन्द सरकार के अफसर ओर

नोकारशाह सरकारी धन का दुरुपयोग करते है ओर बड़े ठेकेदार ओर कल कारखानो

के मलिक रिश्वत ओर भष्टाचार के बल पर करोड़ो कमा रहे है ओर आम नागरिक आम

वस्तुओ ओर जन जीवन यापन मे ही अपनी जमा पूँजी खर्च कर रही है / देश की

बागडोर अमीरो ओर राजनेताओ के हाथ मे है जो अपने स्वार्थ के लिये करोड़ो

देश वासियो के विकास मे रोड़ा बने हुये है अत सभी देश वासियो को जागरूक

होना होगा ओर राजनीति मे युवा वर्ग को आना होगा ओर देश को विकास के

रास्ते पर चालना होगा

संजय श्रीश्रीमाल कोयम्बटूर

Answered by ritikaamlajiya
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Answer:

स्वतंत्रता का महत्व वही जान सकता है, जिसने अपना जीवन देकर स्वतंत्रता तो पाया हो ! जैसे की हमारे क्रांतिवीर , जिन्होंने अपने जीवन का बलिदान देकर इस देश को आज़ाद कराया ! हमारा देश लगभग 200 सालों तक अंग्रेजों का गुलाम था और अंग्रेजों द्वारा किए जा रहे जुल्मों को सहता था ! 200 वर्ष बाद 15 अगस्त १९४७ को हमारे देश को आज़ादी मिली और हमारा देश पुन: एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया !

तब से हर साल 15 अगस्त के दिन भारत में स्वतंत्रता दिवस के रूप में इस दिन को मनाया जाता है ! और उन सैनानियों को श्रधांजलि दी जाती है जिन्होंने इस देश के लिए अपने प्राण त्याग दिए !

भारत के देशवासियों के लिए यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है, ये दिन उन्हें अंदर तक उत्साह और साहस से भर देता है ! सम्पूर्ण देश में जगह जगह स्वतंत्रता दिवस बड़े हर्षो उल्लास के साथ मनाया जाता है ! दिल्ली के लाल किले पर हमारे देश के प्रधानमंत्री ध्वजारोहण कर स्वतंत्रता दिवस के कार्येक्रम की शुरुआत करते है ! देश के सभी स्कूलों और कॉलेज और सरकारी दफ्तरों में स्वतंत्रता दिवस पूरी तैयारियो के साथ मनता है !

आजादी की तारीखें आर्धशताब्दी पूरी कर आगे बढ़ चुकी हैं, आजादी के दीवानों की कहानियां कितनों की जबानी और कितनों की जिन्दगानी बन चुकी हैं। आजादी के इन वीर योद्धाओं में दीवानों की तरह मंजिल पा लेने का हौसला तो था, लेकिन बर्बादियों का खौफ न था। रोटियां भी मयस्सर न हों लेकिन परवाह न था, दीवानों की तरह ये आजादी के दीवाने भी, मंजिलों की तरफ बढ़ते चले गये, बड़े से बड़े जुल्मों सितम भी उनके कदमों को न रोक सके, कोई ऐसी बाधा न हुई, जिसने उनके सामने घुटने न टेक दिए। अपने हौसलों से हर मुश्किल का सीना चिरते हुए आजादी की मंजिल की तरफ बढ़ते ही चले गये। न हिसाब है, न कीमत है उनकी कुर्बानियों का, सँभाल कर रख सकें उनके जिगर के टुकड़े आजादी को सही सलामत, यही कीमत हो सकती है उनकी मेहरबानियों का। हम आजाद हुए, कितना कुछ बदल गया, खुली हवा में साँस तो ले सकते हैं, दो वक्त की रोटियां तो मिल जाती हैं, बेगार के एवज में किसी के लात घुंसे तो नहीं खाने पड़ते हैं, बहुत कुछ बदल गया। कम से कम अपने मौलिक अधिकारों के अधिकारी तो हैं, मुँह से एक शब्द लिकालना गुनाह तो नहीं है। अच्छा है हम आजाद हैं, और भी आच्छा होगा यदि हम आजाद रहें, उससे भी अच्छा होगा यदि हम दूसरों को आजाद कर सकें, गरीबी, भ्रष्टाचार, अज्ञानता और अंधविश्वास की गुलामी से। इंसानों के बंधनों से आजाद हो गये, मन के कुसंस्कारों के बन्धन से आजाद हों तो पूरा आजादी मिलेगी। दूसरों से लड़कर उनके बन्धन से तो आजाद हो गये, स्वयं के अन्दर व्याप्त कुसंस्कारों से लड़कर कितने लोग आजाद हो पाते हैं यह तो वक्त ही जानता है। आजादी एक दिन में नहीं मिली, शताब्दियां लग गयीं, इन बातों को भी समझने में वक्त लगेगा। एक विद्यार्थी को किसी संस्था के माध्यम से स्नातक होने में कम से कम पन्द्रह वर्ष तो लग ही जाते हैं, तो एक स्वनुभव से ज्ञान प्राप्त करने वाले व्यक्ति को भी कम से कम पन्द्रह वर्ष लग ही जायेंगे, कुछ ज्यादा भी लग जाये तो भी हैरानी की बात नहीं, और उम्र भी बीत जाए फिर भी ज्ञान प्राप्त न हो तो भी कोई आश्चर्य की बात नहीं क्योंकि ज्यादातर यही होता है आपवाद स्वरुप में पन्द्रह वर्ष से पूर्व ही ज्ञान प्राप्त हो जाये तो भी कोई आश्चर्य नहीं। जब भी हो जैसे भी हो जब तक प्रत्येक व्यक्ति शिक्षित नहीं हो जाता किसी समग्र बदलाव की उम्मीद व्यर्थ है।

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