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Give the meaning of this verse....
"यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥"
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भावार्थ 1 हे भारत! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धिहोती है, तब-तब ही मैं अपने रूप को रचता हूँ अर्थात साकाररूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ॥7॥
भावार्थ 2 साधु पुरुषों का उद्धार करने के लिए, पाप कर्म करनेवालों का विनाश करने के लिए और धर्म की अच्छी तरह सेस्थापना करने के लिए मैं युग-युग में प्रकट हुआ करता हूँ
भावार्थ 2 साधु पुरुषों का उद्धार करने के लिए, पाप कर्म करनेवालों का विनाश करने के लिए और धर्म की अच्छी तरह सेस्थापना करने के लिए मैं युग-युग में प्रकट हुआ करता हूँ
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the meaning is
Whenever there is decay of righteousness, O bharat ,
And there is exaltation of unrighteousness , then I myselfcome forth
PLEASE MARK AS BRAINLIEST FRIEND
Whenever there is decay of righteousness, O bharat ,
And there is exaltation of unrighteousness , then I myselfcome forth
PLEASE MARK AS BRAINLIEST FRIEND
PANDITKOMAL:
thanks and welcome
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