Hey guys
please help me with this Hindi question
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए :1x5=5
संघर्ष के मार्ग में अकेला ही चलना पड़ता है। कोई बाहरी शक्ति आपकी सहायता नहीं करती है। परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन आदि मानवीय गुण व्यक्ति को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। दो महत्त्वपूर्ण तथ्य स्मरणीय है – प्रत्येक समस्या अपने साथ संघर्ष लेकर आती है। प्रत्येक संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है। एक अध्यापक ने अपने छात्रों को यह संदेश दिया था – तुम्हें जीवन में सफल होने के लिए समस्याओं से संघर्ष करने को अभ्यास करना होगा। हम कोई भी कार्य करें, सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने का संकल्प लेकर चलें। सफलता हमें कभी निराश नहीं करेगी। समस्त ग्रंथों और महापुरुषों के अनुभवों को निष्कर्ष यह है कि संघर्ष से डरना अथवा उससे विमुख होना अहितकर है, मानव धर्म के प्रतिकूल है और अपने विकास को अनावश्यक रूप से बाधित करना है। आप जागिए, उठिए दृढ़-संकल्प और उत्साह एवं साहस के साथ संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़िए और अपने जीवन के विकास की बाधाओं रूपी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कीजिए।
(i) मनुष्य को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं--
(क) निर्भीकता, साहस, परिश्रम
(ख) परिश्रम, लगन, आत्मविश्वास
(ग) साहस, दृढ़ इच्छाशक्ति, परिश्रम
(घ) परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन
(ii) प्रत्येक समस्या अपने साथ लेकर आती है–
(क) संघर्ष
(ख) कठिनाइयाँ
(ग) चुनौतियाँ
(घ) सुखद परिणाम
(iii) समस्त ग्रंथों और अनुभवों का निष्कर्ष है--
(क) संघर्ष से डरना या विमुख होना अहितकर है।
(ख) मानव-धर्म के प्रतिकूल है।
(ग) अपने विकास को बाधित करना है।
(घ) उपर्युक्त सभी
(iv) ‘मानवीय’ शब्द में मूल शब्द और प्रत्यय है
(क) मानवी + य
(ख) मानव + ईय
(ग) मानव + नीय
(घ) मानव + इय
(v) संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़ने के लिए आवश्यक है
(क) दृढ़ संकल्प, निडरता और धैर्य
(ख) दृढ़ संकल्प, उत्साह एवं साहस
(ग) दृढ़ संकल्प, आत्मविश्वास और साहस
(घ) दृढ़ संकल्प, उत्तम चरित्र एवं साहस
अथवा
मानव जाति को अन्य जीवधारियों से अलग करके महत्त्व प्रदान करने वाला जो एकमात्र गुरु है, वह है उसकी विचार-शक्ति। मनुष्य के पास बुद्धि है, विवेक है, तर्कशक्ति है अर्थात उसके पास विचारों की अमूल्य पूँजी है। अपने सुविचारों की नींव पर ही आज मानव ने अपनी श्रेष्ठता की स्थापना की है और मानव-सभ्यता का विशाल महल खड़ा किया है। यही कारण है कि विचारशील मनुष्य के पास जब सुविचारों का अभाव रहता है तो उसका वह शून्य मानस कुविचारों से ग्रस्त होकर एक प्रकार से शैतान के वशीभूत हो जाता है। मानवी बुद्धि जब सद्भावों से प्रेरित होकर कल्याणकारी योजनाओं में प्रवृत्त रहती है तो उसकी सदाशयता का कोई अंत नहीं होता, किंतु जब वहाँ कुविचार अपना घर बना लेते हैं तो उसकी पाशविक प्रवृत्तियाँ उस पर हावी हो उठती हैं। हिंसा और पापाचार का दानवी साम्राज्य इस बात का द्योतक है कि मानव की विचार-शक्ति, जो उसे पशु बनने से रोकती है, उसका साथ देती है।
(i) मानव जाति को महत्त्व देने में किसका योगदान है?
(क) शारीरिक शक्ति का
(ख) परिश्रम और उत्साह का
(ग) विवेक और विचारों का
(घ) मानव सभ्यता का
(ii) विचारों की पूँजी में शामिल नहीं है
(क) उत्साह
(ख) विवेक
(ग) तर्कशक्ति
(घ) बुधि
(iii) मानव में पाशविक प्रवृत्तियाँ क्यों जागृत होती हैं?
(क) हिंसाबुधि के कारण
(ख) असत्य बोलने के कारण
(ग) कुविचारों के कारण
(घ) स्वार्थ के कारण
(iv) “मनुष्य के पास बुधि है, विवेक है, तर्कशक्ति है’ रचना की दृष्टि से उपर्युक्त वाक्य है
(क) सरल
(ख) संयुक्त
(ग) मिश्र
(घ) जटिल
(v) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक हो सकता है
(क) मनुष्य का गुरु
(ख) विवेक शक्ति
(ग) दानवी शक्ति
(घ) पाशविक प्रवृत्ति
Answers
Answered by
1
Answer:
Oh Dude I Can't Sorry Bro pls understand
Answered by
1
Answer:
hii bro
how are you
what are u doing
Similar questions