CBSE BOARD X, asked by jyotikumari37, 1 year ago

hey guys plzz tell me the body part aapka priyre mitra se kisika ladai ho gya per galti aapke dost ki the aap ek patra likhe es per aapj​


graxx: ladai pe patr kaun likhta hai ...??xD
graxx: seedha bande bulate xd
abhisheksingh12592: how are you
jyotikumari37: Abe tera kya jaa rha h ye 2015 me aa chuka h ye question stupid
jyotikumari37: @ abhishek I'm fine
graxx: well appropriate toh nahi hai...mgr dekho ...sabse pehle describe karo ..kaise ladai hui ...fir kya kya nuksaan hua ...aur fir apna problem
graxx: hahhaa ...sorry for offending you my intention was just to gag you all
jyotikumari37: Its okkk bro
graxx: thanks sis
abhisheksingh12592: hello

Answers

Answered by Anonymous
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ND

मेरी सखी, 
मधुर यादें, 
आज मित्रता दिवस पर मन कर रहा है कि मैं तुमसे ढेर सारी बातें करूँ। लेकिन कहाँ से शुरू करूँ? आज कहने को हम एक ही शहर में है। लेकिन दिलों के बीच दूरियों का लंबा रेगिस्तान है। मुझे याद है वे पल, जब हम एक-दूसरे के बिना रह नहीं पाते थे। याद है वे पल भी, जब एक-दूसरे का नाम भी सुनना हमें गवारा नहीं। कहाँ, किससे गलती हुई? 

तुम मुझे नहीं समझ सकी या मैं तुम्हें पहचान न सकी? किसे दोष दूँ अपनी रिक्तता का? आज मैं तुम्हारे बिना बहुत अकेली हूँ लेकिन मन नहीं है कि इस सच को स्वीकार करूँ। तुम बहुत याद आती हो लेकिन हिम्मत नहीं है कि यह बात तुमसे कह दूँ। 

आज नफरत का आवेग तो थम चुका है मैं फिर तुमसे जुड़ने को बेताब भी हूँ लेकिन नहीं भूल पा रही हूँ तुम्हारा वो विश्वासघात। जिसे तुम अब भी मेरी ही गलतफहमी का नाम देती हो। मेरी वो नितांत निजी अनुभूतियाँ जो मैंने सिर्फ और सिर्फ तुमसे बाँटी थी। एक दिन किसी और से किसी और ही रूप में सुनने को मिली तो यकीन मानों मैं जमीन पर आ गिरी। 

मैं यकायक विश्वास नहीं कर पाई कि जो बात मेरे साए तक से अनजान थी एक अजनबी के मुँह से कैसे किस तरह से निकल रही है? जाहिर सी बात है, इसे तुम गलतफहमी का नाम नहीं दे सकती। 

मैंने तुम पर खुद से ज्यादा विश्वास किया और उसका फल भोगा है, इसे कैसे, किस तरह से भूला दूँ? जो बात मैं खुद से भी करने से कतरा रही थी, जिस बात को स्वीकार करने में मुझे एक साल लगा कि यह मेरा सच है। वह बात तुम तक पहुँचते ही इतनी सस्ती और हल्की हो जाएगी, यह तो मैंने स्वप्न में भी नहीं सोचा था। 

अब उन दोस्तों के लिए मुझे इस बात को खुल कर बताना ही पड़ेगा जो एक जरा सी नादानी के कारण अपनी बरसों की दोस्ती गँवा सकते हैं। तुम्हारी तरह। मुझे बताना होगा उन्हें कि दोस्त का विश्वास बनाए रखना कितना जरूरी है। 

मैं और बरखा बचपन की मित्र थे (हैं,नहीं कहूँगी)। सार्थक-‍निरर्थक बातों का पिटारा खोले हम घंटों बतियाया करते। ऐसे ही किसी कोमल लम्हे में मेरी जिन्दगी में किसी ने दस्तक दी। मैं खुद नहीं समझ सकी कि यह सब कब, कैसे और क्यों हुआ। पर हुआ। हाँ, मुझे प्यार हुआ। शुरूआत में मैं खुद से भागती रही। इस सच को स्वीकार करने में मैंने लंबा समय लिया। 

और जब मुझे लगा कि मेरी दुनिया बदलने लगी है। मैं उड़ रही हूँ आसमान में। मुझे अपने आसपास की हर चीज सुहानी लगने लगी। तब मुझे स्वीकार करना पड़ा कि मुझे प्यार हुआ। इस खूबसूरत अहसास को मैं सारी दुनिया से छुपाना भी चाहती थी और 'एट द सेम टाइम' सारी दुनिया को बताना भी चाहती थी।

jyotikumari37: Yaa u r right
Anonymous: sorry jyoti ji
jyotikumari37: Its okk bro..
Anonymous: we can be friends jyoti ji
jyotikumari37: Ummmmm soch ke bataungi hahahaha
Anonymous: ok as you wish jyoti ji
graxx: jyoti didi ne already tumhe bhai bana diya hai
jyotikumari37: Yaa but i dont want to make frnd anyone bcoz board exam round the corner okk bye
graxx: dost se v badh kar
abhisheksingh12592: hi
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