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Shabdon ka sandhi vicched kijiye
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Explanation:अ + इ= ए देव + इन्द्र= देवन्द्र
अ + ई= ए देव + ईश= देवेश
आ + इ= ए महा + इन्द्र= महेन्द्र
अ + उ= ओ चन्द्र + उदय= चन्द्रोदय
अ + ऊ= ओ समुद्र + ऊर्मि= समुद्रोर्मि
आ + उ= ओ महा + उत्स्व= महोत्स्व
आ + ऊ= ओ गंगा + ऊर्मि= गंगोर्मि
अ + ऋ= अर् देव + ऋषि= देवर्षि
आ + ऋ= अर् महा + ऋषि= महर्षि
(iii) वृद्धि संधि- अ, आ का मेल ए, ऐ के साथ होने से 'ऐ' तथा ओ, औ के साथ होने से 'औ' में परिवर्तन को वृद्धि संधि कहते हैं।
जैसे-
अ + ए =ऐ एक + एक =एकैक
अ + ऐ =ऐ नव + ऐश्र्वर्य =नवैश्र्वर्य
आ + ए=ऐ महा + ऐश्र्वर्य=महैश्र्वर्य
सदा + एव =सदैव
अ + ओ =औ परम + ओजस्वी =परमौजस्वी
वन + ओषधि =वनौषधि
अ + औ =औ परम + औषध =परमौषध
आ + ओ =औ महा + ओजस्वी =महौजस्वी
आ + औ =औ महा + औषध =महौषध
(iv) यण संधि- इ, ई, उ, ऊ या ऋ का मेल यदि असमान स्वर से होता है तो इ, ई को 'य'; उ, ऊ को 'व' और ऋ को 'र' हो जाता है। इसे यण संधि कहते हैं।
जैसे-
(क) इ + अ= य यदि + अपि= यद्यपि
इ + आ= या अति + आवश्यक= अत्यावश्यक
इ + उ= यु अति + उत्तम= अत्युत्तम
इ + ऊ = यू अति + उष्म= अत्यूष्म
(ख) उ + अ= व अनु + आय= अन्वय
उ + आ= वा मधु + आलय= मध्वालय
उ + ओ = वो गुरु + ओदन= गुवौंदन
उ + औ= वौ गुरु + औदार्य= गुवौंदार्य
उ + इ= वि अनु + इत= अन्वित
उ + ए= वे अनु + एषण= अन्वेषण
(ग) ऋ + आ= रा पितृ + आदेश= पित्रादेश
(v) अयादि स्वर संधि- ए, ऐ तथा ओ, औ का मेल किसी अन्य स्वर के साथ होने से क्रमशः अय्, आय् तथा अव्, आव् होने को अयादि संधि कहते हैं।
जैसे-
ए + अ= य ने + अन= नयन
ऐ + अ= य गै + अक= गायक
ओ + अ= व भो + अन= भवन
औ + उ= वु भौ + उक= भावुक
(2)व्यंजन संधि ( Combination of Consonants ) :- व्यंजन से स्वर अथवा व्यंजन के मेल से उत्पत्र विकार को व्यंजन संधि कहते है।
दूसरे शब्दों में- एक व्यंजन के दूसरे व्यंजन या स्वर से मेल को व्यंजन-संधि कहते हैं।
कुछ नियम इस प्रकार हैं-
(1) यदि 'म्' के बाद कोई व्यंजन वर्ण आये तो 'म्' का अनुस्वार हो जाता है या वह बादवाले वर्ग के पंचम वर्ण में भी बदल सकता है।
जैसे- अहम् + कार =अहंकार
पम् + चम =पंचम
सम् + गम =संगम
(2) यदि 'त्-द्' के बाद 'ल' रहे तो 'त्-द्' 'ल्' में बदल जाते है और 'न्' के बाद 'ल' रहे तो 'न्' का अनुनासिक के बाद 'ल्' हो जाता है।
जैसे- उत् + लास =उल्लास
महान् + लाभ =महांल्लाभ
(3) किसी वर्ग के पहले वर्ण ('क्', 'च्', 'ट्', 'त्', 'प') का मेल किसी स्वर या वर्ग के तीसरे, चौथे वर्ण या र ल व में से किसी वर्ण से हो तो वर्ण का पहला वर्ण स्वयं ही तीसरे वर्ण में परिवर्तित हो जाता है। यथा-
दिक् + गज =दिग्गज (वर्ग के तीसरे वर्ण से संधि)
षट् + आनन =षडानन (किसी स्वर से संधि)
षट् + रिपु =षड्रिपु (र से संधि)
अन्य उदाहरण
जगत् + ईश =जगतदीश
तत् + अनुसार =तदनुसार
वाक् + दान =वाग्दान
दिक् + दर्शन =दिग्दर्शन
वाक् + जाल =वगजाल
अप् + इन्धन =अबिन्धन
तत् + रूप =तद्रूप
(4) यदि 'क्', 'च्', 'ट्', 'त्', 'प', के बाद 'न' या 'म' आये, तो क्, च्, ट्, त्, प, अपने वर्ग के पंचम वर्ण में बदल जाते हैं। जैसे-
वाक्+मय =वाड्मय
अप् +मय =अम्मय
षट्+मार्ग =षणमार्ग
जगत् +नाथ=जगत्राथ
उत् +नति =उत्रति
षट् +मास =षण्मास
(5) सकार और तवर्ग का शकार और चवर्ग के योग में शकार और चवर्ग तथा षकार और टवर्ग के योग में षकार और टवर्ग हो जाता है। जैसे-
स्+श रामस् +शेते =रामश्शेते
त्+च सत् +चित् =सच्चित्
त्+छ महत् +छात्र =महच्छत्र
त् +ण महत् +णकार =महण्णकार
ष्+त द्रष् +ता =द्रष्टा
त्+ट बृहत् +टिट्टिभ=बृहटिट्टिभ
(6) यदि वर्गों के अन्तिम वर्णों को छोड़ शेष वर्णों के बाद 'ह' आये, तो 'ह' पूर्ववर्ण के वर्ग का चतुर्थ वर्ण हो जाता है और 'ह्' के पूर्ववाला वर्ण अपने वर्ग का तृतीय वर्ण।
जैसे-
उत्+हत =उद्धत
उत्+हार =उद्धार
वाक् +हरि =वाग्घरि
(7) स्वर के साथ छ का मेल होने पर छ के स्थान पर 'च्छ' हो जाता है।
जैसे-
परि + छेद= परिच्छेद
शाला + छादन= शालाच्छादन
आ + छादन= आच्छादन
(8) त् या द् का मेल च या छ से होने पर त् या द् के स्थान पर च् होता है; ज या झ से होने पर ज्; ट या ठ से होने पर ट्; ड या ढ से होने पर ड् और ल होने पर ल् होता है।
उदाहरण-
जगत् + छाया =जगच्छाया
उत् + चारण =उच्चारण
सत् + जन =सज्जन
तत् + लीन =तल्लीन
(9) त् का मेल किसी स्वर, ग, घ, द, ध, ब, भ, र से होने पर त् के स्थान पर द् हो जाता है।
जैसे-
सत् + इच्छा =सदिच्छा
जगत् + ईश =जगदीश
तत् + रूप =तद्रूप
भगवत् + भक्ति =भगवद् भक्ति
(10) त् या द् का मेल श से होने पर त् या द् के स्थान पर च् और श के स्थान पर छ हो जाता है।
जैसे-
उत् + श्वास =उच्छवास
सत् + शास्त्र =सच्छास्त्र
(11) त् या द् का मेल ह से होने पर त् या द् के स्थान पर द् और ह से स्थान पर ध हो जाता है।
जैसे-
पद् + हति =पद्धति
उत् + हार =उद्धार
(12) म् का क से म तक किसी वर्ण से मेल होने पर म् के स्थान पर उस वर्ण वाले वर्ग का पाँचवाँ वर्ण हो जाएगा।
जैसे-
सम् + तुष्ट =सन्तुष्ट
सम् + योग =संयोग