English, asked by reee90, 1 year ago


HEYA BRAINlICS❤


Hindi story of ch. The Frog and the Nightingale
...


#quality needed Answer....​


Aryan002: vry easy
reee90: Yeah!

Answers

Answered by Anonymous
82
  • \textbf {The frog and the nightingale:}

The Frog and the nightingale is a poem which is written by a great Indian writer-Vikramseth .Through this chapter the poet vikram want to give a moral to all huminity. In this chapter there are two characters -A frog and a nightingale.(A bird)

The moral or theme of the poem is:-Self-confidence,or self intrest is a one step ahead towards the success. The Nightingale sings a very melodious voice but frog's sound is little bitter or crass.

The Nightingale sings better then frog but she has lack of confidence therefore the manipulate the nightingale and take advantage of her. The frog wants to ruin the nightingale' s' talent but he unable to do so.

  • \textbf {Moral:-}

Self-confidence self-interest is everything give time yourself for exploring your hidden talents.

Listen everyone's but after listening make your own opinion and think about the matter by everyone's point of view for the right decisions

Attachments:

mukheer1977: Ati uttam!!
mukheer1977: Kasam se iss answer mein se 45 point dedo, mai aapko main baaki ke chaar point lene dungi
Anonymous: dhanyvaad mahatarma:)
mukheer1977: Jo ek aur point bachega, uski aapki marzi
Anonymous: (^^")shukria
mukheer1977: Thank you Professor!!
reee90: FABULOUS❤❤
reee90: thnks Bro❤
Anonymous: Thank you:)
reee90: my pleasure❣
Answered by Ramlayaksingh3
24
\huge {\color {blue}{उत्तर}}

सारांश

¯बगल नामक एक दलदल में एक मेढक रहता था जिसे गाने का उन्माद था वह सायंकाल से उषाकाल तक गाता ही रहता था। सभी जीव- जंतुओं को जो उस दलदल में रहते थे, उसका गाना अप्रिय लगता था। वे उसे पीटने और उसका अपमान करने का प्रयत्न करते परंतु मेढक बहुत ही संवेदनहीन और बड़बोला था। वह भावावेश में गाता ही रहता।

क्त ठल टपातंउ ैमजी

दिल वेफ उद्गार और उल्लास व्यक्त करने का उसवेफ पास यही एक विकल्प था।

एक दिन दलदल वासियों ने एक मध्ुर और सुरीला गीत सुना जो

एक कोयल गा रही थी। गीत सुनकर मेढक को गहरे सदमे और द्वेष का अनुभव हुआ। वह दलदल का अवेफला और अविवादित गायक बना रहना चाहता था। बुलबुल वेफ गीत ने एक हलचल मचा दी थी। दल-दल वेफ सभी प्राणी बढ़-चढ़कर उसकी प्रशंसा कर रहे थे।

मेढक बहुत चालाक था। उसने कोयल को अपना परिचय उस वृक्ष वेफ मालिक वेफ रूप में दिया, जिस वृक्ष पर बैठकर बुलबुल गाती थी। उसने शेखी बघारी कि वह एक संगीत आलोचक है जो ‘‘दलदल तुरही’’ वेफ लिए गीत लिखता है।

बुलबुल अत्यंत प्रभावित हुई कि मोजार्ट जैसा प्रतिभाशाली संगीतज्ञ इसमे रूचि ले रहा है। जब मेढक ने बहुत ही साधरण पफीस वेफ बदले उसे संगीत प्रशिक्षण देने का प्रस्ताव रखा तो बुलबुल को लगा उसवेफ सपने साकार होने जा रहे हैं और बुलबुल का शोषण शुरू हो गया। मेढक ने संगीत समारोह आयोजित करने शुरू कर दिए। खराब मौसम में भी वह बुलबुल को गाने वेफ लिए बाध्य करता। वह उसे भावमग्न होकर गाने को कहता क्योंकि जनता को यही पसन्द था। आरम्भ में वुफछ जीव-जंतु सुनने को जमा हुए परन्तु ध्ीरे-ध्ीरे भीड़ कम होती गई क्योंकि बुलबुल का गीत नित्यक्रम बन कर रह गया था जिसमें कोई रस न था और उसकी आवाश भी थकी सी हो गई थी। मेढक उसे डाँटता और अपमानित करता। एक दिन अत्यंत दबाव व तनाव में बुलबुल की नस पफट गई और उसकी मृत्यु हो गई।

मेढक ने बुलबुल को मूर्ख और उत्तेजना का शिकार बताया और कहा उसवेफ पास मौलिकता नहीं थी। उसका अहंभाव शांत हो गया था और वह दोबारा दलदल का बेजोड़ गायक बन गया था।

Hope it helps you.

Ramlayaksingh3: this is tge most number of thanks I have ever got in a single question
mukheer1977: Ohhh!! Koi baat nahi; hum aapke thanks badha dete hain!!
Ramlayaksingh3: shukria. mukheer ji
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