English, asked by MsQueen, 1 year ago

Heya !! ♥♥

Gimme an Awèsome speech on


How did I celebrated my Durga Puja ?


Speech is to be delivered in the morning Assembly on Monday.


✴ BEST OF LUCK ✴

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♥♥♥

Answers

Answered by DevilDoll12
252
Hᴇya!
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⭐ÐuƦga Puja ⭐
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↪A very warm and a pleasant Good Morning to respected principal Ma'am , worthy teachers and my dear friends . Today , I Aaisha , a student of class 9 feels privileged to share this dias with such a knowledgeable audience to share my views about how I celebrated the auspicious eve of Durga Puja .

⭐Durga Puja ; it is one of the most popular festival of Hindus , celebrated in different parts , known with different names but the main gist about it remains the same .It symbolises the victory of 'Good over Evil' . It is called 'Durgotsava' meaning the festival of Durga.

⭐It is believed that this day marked the defeat of the shape shifting buffalo demon 'Mahishasur' and it was on the tenth day that goddess Durga emerged victorious thus marking the end of evil powers of the demon . So it is also called Vijay Dashmi .

⭐ Talking about my personal experience , it is one of my favourite festivals . It falls in the Hindu month of 'Ashvin' i,e in Sept/ Oct . The festival continues for 10 days .

▪ On the first day , which is called "Mahalaya" which is the day of remembering the departed souls along with the Advent of goddess Durga. I went along with my family and we welcomed the deity of Goddess durga in our home . Her worship continued for the next four days .

▪Then the significant "Shashthi" ( sixth day ) was the main attraction that marks festive celebrations , inaugurations , decorative pandals . I went to the various beautifully decorated temples , we prayed for the well being of the family and loved ones .

▪Then for the next three days :-Saptami , Asthami and Navami prayers and recitation continued . I even fasted on the last day . It is believed that fasting brings blessings of goddess on the family members .

▪Then on the tenth day of Dashmi, it came the time for immersing the holy statue . We all accompanied the crowd . It was really a beautiful sight . People were dancing with joy . Finally we immersed the holy statue in the river along with many others ,praying for blessings from goddess Durga.

↪At the end , I would just say that goddess Durga is the epitome of a woman's strength , power and might . it symbolises that truth and goodness always wins whatever the circumstances may be . Another aspect is the patience , strength and power of a woman , which we all need to understand and incorporate . Woman is the motherly power behind all the mighty creations .
..

"Sarva Mangala Mangley , Shive Sarvath Sadhikey
Sharanye trayambkey Gauri , Narayani Namostutey "

Wishing you all Happy Durga Puja . May Goddess Durga bless you and shower on you her choicest blessings.

Thanks for the Patient Hearing!!
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Attachments:

SillySam: answer
SillySam: :)
DevilDoll12: Thanks ^•^
Vaibhavhoax: Nice Answer meli didu ❤❤ *clap_clap*
DevilDoll12: Thanku Bhaiyu❤
kapilchaudhary2: nice
DevilDoll12: Thnj ji ^^'
PrayagKumar: G ←_←
Divyaalia: Outstanding Answer Deary!!!!!.....❤️❤️☺️
DevilDoll12: Thanku♥
Answered by Anonymous
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प्रस्तावना

दुर्गा पूजा एक धार्मिक त्योहार है, जिसके दौरान देवी दुर्गा की पूजा का समारोह किया जाता है। यह भारत का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह एक परंपरागत अवसर है, जो लोगों को एक भारतीय संस्कृति और रीति में पुनः जोड़ता है। विभिन्न प्रकार के रीति-रिवाजों, जैसे – उपवास, दावत, पूजा आदि, को पूरे दस दिनों के त्योहार के दौरान निभाया जाता है। लोग अन्तिम चार दिनों में मूर्ति विसर्जन और कन्या पूजन करते हैं, जो सप्तमी, अष्टमी, नवीं और दशमी के नाम से जाने जाते हैं। लोग दस भुजाओं वाली, शेर पर सवार देवी की पूरे उत्साह, खुशी और भक्ति के साथ पूजा करते हैं। दुर्गा-पूजा हिन्दुओं का एक महत्त्वपूर्ण और अहम त्यौहार है। यह त्यौहार देवी दुर्गा के सम्मान में मनाया जाता है। दुर्गा को हिमाचल और मेंका की पुत्री माना जाता है। भगवान शंकर की पत्नी सती के आत्म-बलिदान के बाद दुर्गा का जन्म हुआ।

देवी दुर्गा की कहानी और किंवदंतियाँ

देवी दुर्गा की पूजा से संबंधित कहानियाँ और किंवदंतियाँ प्रचलित है, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

यह माना जाता है कि, एकबार राक्षस राजा था, महिषासुर, जो पहले ही देवताओं पर स्वर्ग पर आक्रमण कर चुका था। वह बहुत ही शक्तिशाली था, जिसके कारण उसे कोई नहीं हरा सकता था। तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) के द्वारा एक आन्तरिक शक्ति का निर्माण किया गया, जिनका नाम दुर्गा (एक दस हाथों वाली और सभी हाथों में विशेष हथियार धारण करने वाली अद्भुत नारी शक्ति) कहा गया। उन्हें राक्षस महिषासुर का विनाश करने के लिए आन्तरिक शक्ति प्रदान की गई थी। अन्त में, उन्होंने दसवें दिन राक्षस को मार दिया और उस दिन को दशहरा या विजयादशमी के रुप में कहा जाता है।

दुर्गा पूजा की दूसरी किंवदंती है कि, रामायण के अनुसार भगवान राम ने रावण को मारने के लिए देवी दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए चंडी पूजा की थी। राम ने दुर्गा पूजा के दसवें दिन रावण को मारा था, तभी से उस दिन को विजयादशमी कहा जाता है। इसलिए दुर्गा पूजा सदैव अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है।

एक बार कौस्ता (देवदत्त का पुत्र) ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद अपने गुरु वरतन्तु को गुरु दक्षिणा देने का निर्णय किया हालांकि, उसे 14 करोड़ स्वर्ण मुद्राओं (प्रत्येक 14 विज्ञान के लिए एक-एक मुद्रा) का भुगतान करने के लिए कहा गया। वह इन्हें प्राप्त करने के लिए राजा रघुराज (राम के पूर्वज) के पास गया हालांकि, वह विश्वजीत के त्याग के कारण यह देने में असमर्थ थे। इसलिए, कौस्ता,  इन्द्रराज देवता के पास गया और इसके बाद वह फिर से कुबेर (धन के देवता) के पास आवश्यक स्वर्ण मुद्राओं की अयोध्या में “शानु” और “अपति” पेड़ों पर बारिश कराने के लिए गया। इस तरह से, कौस्ता को अपने गुरु को अर्पण करने के लिए मुद्राएं प्राप्त हुई। वह घटना आज भी “अपति” पेड़ की पत्तियों को लूटने की एक परंपरा के माध्यम से याद की जाती है। इस दिन लोग इन पत्तियों को एक-दूसरे को एक सोने के सिक्के के रुप में देते हैं।

पूजा का आयोजन

दुर्गापूजा बहुत है सच्चे मन और श्रद्धा से की जाती है। यह हर बार महीने के शुक्ल पक्ष में की जाती है। यह त्यौहार दशहरे के त्यौहार के साथ ही मनाया जाता है। अतः कई दिन तक स्कूल और कालेज बन्द रहते हैं। प्रति पदा के दिन से नवरात्रों का प्रारंभ माना जाता है। इन 10 दिनों तक श्रद्धालु स्त्रियों व्रत रखती हैं और देवी दुर्गा का पूजन करती हैं।

हर दिन दुर्गा की प्रतिमा की धूम-धाम से पूजा की जाती है। इस हेतु बड़े-बड़े शामियाने और पण्डाल लगाये जाते हैं। बड़ी संख्या में लोग इन आयोजनों में भाग लेते हैं। पूजा के शामियाने को खूब सजाया जाता है। उस पर तरह-तरह के रंगो से रोशनी की जाती है। वे इसे बड़े उत्साह से सजाते हैं।

निष्कर्ष

दुर्गा पूजा को वास्तव में शक्ति पाने की इच्छा से किया जाता है जिससे विश्व की बुराइयों का नाश किया जा सके। दुर्गा-पूजा बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाई जाती है। जिस प्रकार देवी दुर्गा ने सभी देवी-देवताओं की शक्ति को इकट्ठा करके दुष्ट राक्षस महिषासुर का नाश किया था और धर्म को बचाया था उसी प्रकार हम अपनी बुराइयों पर विजय प्राप्त करके मनुष्यता को बढ़ावा दे सकें। दुर्गा पूजा का यही संदेश होता है। देवी दुर्गा को शक्ति का अवतार समझा जाता है। शक्ति-पूजा से लोगों में साहस का संचार होता है और वे आपसी वैर-भाव भुलाकर एक-दूसरे की मंगल-कामना करते हैं।

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