Social Sciences, asked by hp780, 11 months ago

heya guys...✔️✔️
extra points
Can anybody give me full information about Jawahar Gramin ajivika mission in hindi​

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Answered by kaneez65
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HEY MATE !

SORRY ! I can't understand HINDI ....

Answered by prakash2860
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आजीविका मिशन ग्रामीण महिलाओं को तेजी से आत्मनिर्भर बना रहा है - तोमर

प्रकाशन तिथि: 26 MAR 2018 7:57PM by PIB Delhi

केन्द्रीय ग्रामीण विकास, पंचायतीराज और खान मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने आज यहां सरस आजीविका मेला 2018 का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि आजीविका मिशन ग्रामीण महिलाओं के जीवन में बड़ा सामाजिक आर्थिक परिवर्तन ला रहा है। मेले में भाग ले रहे सभी कुशल कारीगरों और स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास मंत्रालय ग्रामीण गरीब विशेषकर स्वयं सहायता समूह की महिला सदस्यों का आर्थिक और सामाजिक दर्जा सुधारने के लिए संकल्पबद्ध है। मंत्रालय इस दिशा में दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन लागू कर रहा है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को आत्म विश्वासी, जागरूक और आत्मनिर्भर बनाना है। सरस आजीविका मेला ग्रामीण महिला उत्पादकों को प्रत्यक्ष विपणन प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने का प्रयास है, ताकि ग्रामीण महिला उत्पादक बिना किसी बिचौलिए के अपने उत्पादों का उचित मूल्य प्राप्त कर सकें। उन्होंने बताया कि मंत्रालय स्वयं सहायता समूह की महिलाओं तथा अन्य उत्पादकों को अपने उत्पाद बेचने में प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीण हाटों को प्रोत्साहित करता है। मंत्रालय की योजना वित्त वर्ष 2018-19 में पूरे देश में 22,000 ग्रामीण हाट स्थापित करने की है।

इस अवसर पर श्री तोमर ने डीएवाई-एनआरएलएम कार्यक्रम के दो प्रकाशनों- (1) स्वयं सहायता समूह की निर्देशिका, जो सरस आजीविका मेला 2018 में भाग ले रहे स्वयं सहायता समूह की सूची है और इसमें उनके उत्पाद और संपर्क के ब्यौरे हैं तथा (2) ग्रामीण महिलाओं के उद्यमों का सारांश, जिसमें व्यक्तियों तथा महिलाओं के सामूहिक उद्यम की सफलता की 32 गाथाएं संकलित हैं, का लोकार्पण किया।

इस अवसर पर ग्रामीण विकास सचिव श्री अमरजीत सिन्हा ने कहा कि योजना से जुड़ी पांच करोड़ महिलाओं में से लगभग डेढ़ करोड़ महिलाओं का प्रत्यक्ष बैंक संपर्क है। उन्होंने बताया कि महिला स्वयं सहायता समूहों का ऋण बढ़ाकर 63 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया, जो कि 2014-15 में 23 हजार करोड़ रुपये था और इस ऋण के लिए एनपीए (अनुत्पादक परिसंपत्ति) महज 2.6 प्रतिशत है। श्री सिन्हा ने कहा कि कठिन नक्सली क्षेत्रों की महिलाएं योजना का लाभ उठाने के लिए आगे आ रही हैं और छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले की ई-रिक्शा पहल जैसे विकास की नई कहानियां लिख रही हैं।

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