heya mates...
plzz no spam ❎❎
plzz mjhe is par vad vivad ( debate ) chahiye...im against for this...so main esa ky kru jis se mera opponent hai ( paksh ) me...vo har jaye.....nd plzz tell me the debate....how i can do that...meaningfull is mark as a brainliest....
no spam plzz ..❎❎
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neha8165:
yaa sure
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मित्र हम इस विषय पर आरंभ करके दे रहे हैं। इसे स्वयं विस्तारपूर्वक लिखने का प्रयास करें-
आज की नारी सभी बंधनों से मुक्त है। वह स्वतंत्र है तथा शिक्षित है। अपने पैरों पर खड़ी है। वह अपनी तथा परिवार की ज़िम्मेदारियाँ स्वयं संभाल रही है। हर क्षेत्र में उसने सफलता के झंडे गाड़ दिए हैं। पति के साथ वह घर में ही नहीं बल्कि आर्थिक क्षेत्र में भी कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। आज उसकी पहचान माँ, बहन, बेटी, पत्नी, बहू नहीं है बल्कि वह कामकाजी स्त्री भी है।
एक समय ऐसा था, जब वह गुलामी का जीवन जी रही थी। उसका समुचा जीवन घर की चारदीवारी में सिमटकर रह जाता था। पिता था पति ही उसके जीवन का हर फैसला करते थे। समाज में उसकी हैसियत किसी नौकर से कम नहीं थी। उसके प्रति उपेक्षा पूर्ण व्यवहार किया जाता था। परन्तु समय बदला और उसने इन बंधनों से मुक्ति पायी। शिक्षा की इसमें अहम भूमिका रही है। शिक्षा ने समाज में उसका स्थान बनाया। पुरुष सत्ता ने उसे अपने समान स्वीकारा और उसकी सत्ता को सराहा भी। आज उसके कारण समाज का स्वरूप बदल रहा है।
आज की नारी सभी बंधनों से मुक्त है। वह स्वतंत्र है तथा शिक्षित है। अपने पैरों पर खड़ी है। वह अपनी तथा परिवार की ज़िम्मेदारियाँ स्वयं संभाल रही है। हर क्षेत्र में उसने सफलता के झंडे गाड़ दिए हैं। पति के साथ वह घर में ही नहीं बल्कि आर्थिक क्षेत्र में भी कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। आज उसकी पहचान माँ, बहन, बेटी, पत्नी, बहू नहीं है बल्कि वह कामकाजी स्त्री भी है।
एक समय ऐसा था, जब वह गुलामी का जीवन जी रही थी। उसका समुचा जीवन घर की चारदीवारी में सिमटकर रह जाता था। पिता था पति ही उसके जीवन का हर फैसला करते थे। समाज में उसकी हैसियत किसी नौकर से कम नहीं थी। उसके प्रति उपेक्षा पूर्ण व्यवहार किया जाता था। परन्तु समय बदला और उसने इन बंधनों से मुक्ति पायी। शिक्षा की इसमें अहम भूमिका रही है। शिक्षा ने समाज में उसका स्थान बनाया। पुरुष सत्ता ने उसे अपने समान स्वीकारा और उसकी सत्ता को सराहा भी। आज उसके कारण समाज का स्वरूप बदल रहा है।
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