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1950 में भारतीय संविधान में देवनागरी लिपि को राजभाषा के रूप में स्वीकारा।
- हिन्दी की विशेषताएँ
- हिंदी भाषा के उज्ज्वल स्वरूप का ज्ञान कराने के लिए यह आवश्यक है कि उसकी गुणवत्ता, क्षमता, शिल्प-कौशल और सौंदर्य का सही-सही आकलन किया जाए। यदि ऐसा किया जा सके तो सहज ही सब की समझ में यह आ जाएगा कि -
- संसार की उन्नत भाषाओं में हिंदी सबसे अधिक व्यवस्थित भाषा है।
- वह सबसे अधिक सरल भाषा है।
- वह सबसे अधिक लचीली भाषा है।
- हिंदी दुनिया की सर्वाधिक तीव्रता से प्रसारित हो रही भाषाओं में से एक है.
- वह एक मात्र ऐसी भाषा है जिसके अधिकतर नियम अपवादविहीन है।
- वह सच्चे अर्थों में विश्व भाषा बनने की पूर्ण अधिकारी है।[7]
- हिंदी का शब्दकोश बहुत विशाल है और एक-एक भाव को व्यक्त करने के लिए सैकड़ों शब्द हैं.
- हिन्दी लिखने के लिये प्रयुक्त देवनागरी लिपि अत्यन्त वैज्ञानिक है।
- हिन्दी को संस्कृत शब्दसंपदा एवं नवीन शब्द-रचना-सामर्थ्य विरासत में मिली है। वह देशी भाषाओं एवं अपनी बोलियों आदि से शब्द लेने में संकोच नहीं करती। अंग्रेजी के मूल शब्द लगभग १०,००० हैं, जबकि हिन्दी के मूल शब्दों की संख्या ढाई लाख से भी अधिक है।
- हिन्दी बोलने एवं समझने वाली जनता पचास करोड़ से भी अधिक है।
- हिंदी दुनिया की दुनिया की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है.
- हिन्दी का साहित्य सभी दृष्टियों से समृद्ध है।
- हिन्दी आम जनता से जुड़ी भाषा है तथा आम जनता हिन्दी से जुड़ी हुई है। हिन्दी कभी राजाश्रय की मोहताज नहीं रही।[8]
- भारत के स्वतंत्रता-संग्राम की वाहिका और वर्तमान में देशप्रेम का अमूर्त-वाहन
- भारत की सम्पर्क भाषा
- भारत की राजभाषा
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