Higher Secondary Examination
Open Book Examination 2020
All Questions are Compulsory
Class - 12 Subject - ECONOMICS
प्रश्न 1 मांग को परिभाषित करते हुए मांग के नियम की सचित्र व्याख्या कीजिए।
प्रश्न 2 अपकिरण का अर्थ एवं अपकिरण ज्ञात करने की दो रीतियों का वर्णन कीजिये।
Answers
Answer:
1. मांग (Demand) एवं पूर्ति (Supply) अर्थशास्त्र में दो महत्वपूर्ण घटक होते हैं। हमारी अर्थव्यवस्था में कुछ वस्तुएं महँगी होती हैं एवं कुछ सस्ती होती हैं। कुछ बहुत कम मात्र में होती हैं एवं कुछ बहुत बड़ी मात्र में उपलब्ध होती हैं। हम जब खरीदते हैं तो कुछ चीज़ें सस्ती होती हैं तो कुछ महँगी। इनके भाव बदलते रहते हैं। ये मुख्यतः इनकी मांग एवं आपूर्ति के कारण होता है।
मांग क्या होती है ?
सामान्यतः मांग का अर्थ किसी चीज़ को पाने की चाह माना जाता है लेकिन अर्थशास्त्र में यह भिन्न है। इसमें मांग में पाने की चाह के साथ साथ इसका मूल्य एवं इसका माप भी होता है। जैसे: आपको 5 रूपए प्रति पेंसिल के हिसाब से 10 पेंसिल चाहिए। यह मांग मानी जायेगी।
परिभाषा (Definition of demand)
प्रोफेसर मेयर्स के अनुसार “क्रेता की मांग उन सभी मात्राओं की तालिका होती है जिन्हें वह उस सामग्री के विभिन्न संभावित मूल्यों पर खरीदने के लिए तैयार रहता है।”
मांग के ज़रूरी अवयव :
कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो यदि ना हो तो मांग केवल चाह बनके रह जाती है उसे हम मांग नहीं कह सकते हैं। अतः मांग कहलाने के लिए जिन तत्वों का होना ज़रूरी है वे निम्न हैं :
1. पाने की इच्छा : किसी चाह को मांग उपभोक्ता की इच्छा का होना होता है। यदि वह उपभोक्ता किसी वस्तु को पाने की इच्छा नहीं रखता है तो हम इसे मांग नहीं कह सकते हैं।
2. खरीदने की क्षमता : यदि कोई उपभोक्ता कोई चीज़ खरीदने की इच्छा रखता है तो उसके साथ ही उसके पास उस वस्तु को खरीदने की क्षमता भी होनी चाहिए अन्यथा वह मांग नहीं कहलाएगी। खरीदने का कोई साधन का होना आवश्यक है।
3. खर्च करने की तत्परता : किसी उपभोक्ता के पास चाह हो सकती है, साधन हो सकता है लेकिन यदि उसके पास खर्च करने की तत्परता नहीं है तो वह उसे खरीद नहीं पायेगा।
4. निश्चित मूल्य : इन सभी तत्वों के साथ साथ एक वस्तु की मांग को बताने के लिए उसके साथ निश्चित मूल्य भी बताना होता है। जैसे हमें 2 किलो चीनी चाहिए तो हम बोलेंगे की 30 रूपए प्रति किलो के हिसाब से 2 किलो चीनी चाहिए।
5. निश्चित समय : ऊपर सभी तत्वों के साथ साथ एक निश्चित समय का भी होना ज़रूरी होता है। जैसे अभी उपभोक्ता को निश्चित वास्तु निश्चित समय में चाहिए बाद में उसकी कुछ और पाने की चाह हो जायेगी। अतः निश्चित समय का भी ज्ञात होना ज़रूरी होता है।
मांग तालिका (Demand Table)
मांग तालिका एक या एक से ज्यादा उपभोक्ताओं द्वारा निश्चित समय में किसी वस्तु के विभिन्न संभावित मूल्यों पर की गयी मांग की मात्रा के बारे में बताती है। यह मुख्यतः सो प्रकार की होती है :
- व्यक्तिगत मांग तालिका
- बाज़ार मांग तालिका
सूक्ष्मअर्थशास्त्र में, मांग का नियम कहता है कि, "सभी पहलुओं को बराबर रखते हुए , किसी वस्तु की कीमतों का गिरना (↓): उसकी मांग को बढ़ा देता है (↑); तथा किसी वस्तु की कीमतों का उठाना (↑) :उसकी मांग को गिरा देता है(↓)।"[1] दूसरे शब्दों में, मांग का कानून मूल्य और मात्रा के बीच एक व्युत्क्रम संबंध का वर्णन करता है जो की किसी वस्तु के लिए होता है। वस्तु का दाम और उपभोक्ता की आय की कीमतों को स्थाई माना जाता है।[2]हालांकि, मांग के कानून के कुछ संभावित अपवाद हैं, जैसे कि गिफ़ेन वस्तुएं और वीब्लेन वस्तुएं।
2. अपकिरण शब्द की व्याख्या एक अन्य अभिप्राय से भी कर सकते हैं। जब समंकों के सभी मद केन्द्रीय प्रवृत्ति के समान न हों तो प्रत्येक मद का केन्द्रीय प्रवृत्ति से अंतर (विचलन) एक निश्चित राशि होगा। अपकिरण यह निर्दिष्ट करता है कि केन्द्रीय प्रवृत्ति से मदों का औसत अंतर कितना है।
केवल माध्य को ज्ञात करके हम समंक माला के बारे में सही जानकारी नही प्राप्त कर सकते माध्य के साथ साथ आवर्ती वितरण के आकर का ज्ञान भी सही परिणाम पर पहुचने जे लिए आवश्यक हे अर्थार्त यह जानना आवश्यक हे की पद माला का प्रत्येक पद माध्य से कितनी दुरी पर हे या कितना बड़ा या छोटा हे की विच्लन की दुरी पर फेलाव या बिखराव या विस्तार को ही अपकिरण कहते हैं l