Himalaya ka Nirman kaise hua
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पृथ्वी की सतह अर्थात स्थलमंडल का निर्माण छोटी-बड़ी महाद्वीपीय प्लेटों से हुआ है। यह लगातार आंशिक रूप से पिघली चट्टानी परत यानी एस्थेनोस्फियर पर टिकी हुई है और उसके ऊपर फिसलती रहती है। इसकी खास बात यह है कि इसके किनारों पर अत्याधिक दबाव पड़ता है, और इसी स्थान पर जहां भूकंप और ज्वालामुखीय विस्फोटों जैसी प्राकृतिक दुर्घटनाएं होती रहती हैं। जिन स्थलों पर दो प्लेटें आपस में टकराती हैं वहां इतना अधिक दबाव पैदा होता है कि उससे सतह पर विशाल सिलवटें पड़ जाती हैं जिनसे ऊँची पर्वत श्रृंखलाओं का निर्माण होता है।
भूविज्ञानों के जी एफ जेड जर्मन अनुसंधान केंद्र में वैज्ञानिकों की एक टीम द्वारा हाल में किए गए भूकंप अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि लगभग 5 करोड़ वर्ष पूर्व भारत के यूरेशियन महाद्वीप के साथ हुई टक्कर ने तिब्बत के नीचे स्थित भारतीय प्लेट को लगभग 500 किमी. धकेल दिया जिससे वह 250 किमी. की गहराई तक चली गई। पृथ्वी के बीच प्लेटों की सबसे बड़ी इस टक्कर से ही दुनिया की सबसे ऊँची पर्वत श्रृंखला हिमालय व तिब्बत पठार का निर्माण हुआ। इतना ही नहीं इस टक्कर की वजह से संसार भर के 7000 मीटर से अधिक ऊँचे पर्वतों की श्रृंखला बना दी। लाखों सालों से पूरा भारतीय उपमहाद्वीप लगातार उत्तर की ओर बढ़ रहा है।
टक्कर की संपूर्ण प्रक्रिया का अध्ययन करने के लिए शोधकत्र्ताओं ने तिब्बत के नीचे भारतीय उपमहाद्वीप की लगभग 100 किमी. मोटी प्लेट से होकर प्रसरित तरंगों का मार्ग जानने की एक नई भूकंप अध्ययन विधि का उपयोग किया।
भूविज्ञानों के जी एफ जेड जर्मन अनुसंधान केंद्र में वैज्ञानिकों की एक टीम द्वारा हाल में किए गए भूकंप अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि लगभग 5 करोड़ वर्ष पूर्व भारत के यूरेशियन महाद्वीप के साथ हुई टक्कर ने तिब्बत के नीचे स्थित भारतीय प्लेट को लगभग 500 किमी. धकेल दिया जिससे वह 250 किमी. की गहराई तक चली गई। पृथ्वी के बीच प्लेटों की सबसे बड़ी इस टक्कर से ही दुनिया की सबसे ऊँची पर्वत श्रृंखला हिमालय व तिब्बत पठार का निर्माण हुआ। इतना ही नहीं इस टक्कर की वजह से संसार भर के 7000 मीटर से अधिक ऊँचे पर्वतों की श्रृंखला बना दी। लाखों सालों से पूरा भारतीय उपमहाद्वीप लगातार उत्तर की ओर बढ़ रहा है।
टक्कर की संपूर्ण प्रक्रिया का अध्ययन करने के लिए शोधकत्र्ताओं ने तिब्बत के नीचे भारतीय उपमहाद्वीप की लगभग 100 किमी. मोटी प्लेट से होकर प्रसरित तरंगों का मार्ग जानने की एक नई भूकंप अध्ययन विधि का उपयोग किया।
shashank651:
Bhai thoda chota btade
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it is your answer can you mark me as brainlist
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