Hindi, asked by yuvrajjain219, 3 months ago

Himalaya Kavita ka bhav spasht kijiye

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Answered by priyakumari620690
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प्रस्तुत काव्यांश गोपालसिंह 'नेपाली' द्वारा रचित कविता 'हिमालय और हम' से लिया गया है। इस काव्यांश में कवि ने बताया है कि हिमालय पर जिस प्रकार उदय और संध्या की लालिमा समान रूप से दिखाई देती है, उसी प्रकार हम भारतीय भी दुख और सुख को समान भाव से ग्रहण करते हैं।

Answered by Hanvesh
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Answer:

sorry I don't no that answer

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