Hind speech प्रदूषण एक समस्या
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प्रदूषण का अर्थ है दोष युक्त,अपवित्र एवं अशुद्ध | अपने नाम के स्वरूप प्रदूषण न केवल मानव जाति बल्कि समस्त प्राणियों के लिए हानिकारक है | यह बात आज का मानव भली -भाँति जानता भी है और समझता भी है |
लेकिन यह ज्ञान केवल किताबों तक और बातों तक सीमित है , व्यावहारिक रूप में मानव की प्रगति की चाहत और सुख सुविधाओं की वृद्धि की इच्छा में उसके द्वारा किये गए नित नए प्रयोगों ने इस प्रदूषण में दिन- प्रतिदिन वृद्धि की है |
इस प्रदूषण की सीमा केवल धरती ही नहीं बल्कि संपूर्ण वातावरण (वायु , जल , ध्वनि) सम्मिलित है | इस विस्तार सीमा के कारण अब प्रदूषण केवल भूमि प्रदूषण न होकर वायु प्रदूषण , जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण भी है |
प्रदूषण का अर्थ है दोष युक्त,अपवित्र एवं अशुद्ध | अपने नाम के स्वरूप प्रदूषण न केवल मानव जाति बल्कि समस्त प्राणियों के लिए हानिकारक है | यह बात आज का मानव भली -भाँति जानता भी है और समझता भी है |
लेकिन यह ज्ञान केवल किताबों तक और बातों तक सीमित है , व्यावहारिक रूप में मानव की प्रगति की चाहत और सुख सुविधाओं की वृद्धि की इच्छा में उसके द्वारा किये गए नित नए प्रयोगों ने इस प्रदूषण में दिन- प्रतिदिन वृद्धि की है |
इस प्रदूषण की सीमा केवल धरती ही नहीं बल्कि संपूर्ण वातावरण (वायु , जल , ध्वनि) सम्मिलित है | इस विस्तार सीमा के कारण अब प्रदूषण केवल भूमि प्रदूषण न होकर वायु प्रदूषण , जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण भी है |
प्रदूषण के कारण – Reason For Pollution
बेकार पदार्थो की बढ़ती मात्रा और उचित निपटान के विकल्पों की कमी के कारण समस्या दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है। कारखानों और घरों से बेकार उत्पादों को खुले स्थानों में रखा और जलया जाता है
जिससे भूमि, वायु , जल , ध्वनि प्रदूषित होते हैं| प्रदूषण विभिन्न मानवीय गतिविधियों के कारण और प्राकृतिक कारणों के कारण भी होता है।
कीटनाशकों का बढ़ता उपयोग, औद्योगिक और कृषि के बेकार पदार्थो के निपटान के लिए विकल्पों की कमी, वनों की कटाई, बढ़ते शहरी करण, अम्लीय वर्षा और खनन इस प्रदूषण के मूल कारक हैं।
ये सभी कारक कृषि गतिविधियों में बाधा डालते हैं और जानवरों और मनुष्यों में विभिन्न बीमारियों का कारण भी बनते हैं। जनसंख्या वृद्धि भी कारण है बढ़ते हुए प्रदूषण’ का |
प्रदूषण के स्त्रोत – Sources of Pollution
प्रदूषण के स्त्रोतों को निम्न श्रेणियों में बाँटा जा सकता है :
1.घरेलू बेकार पदार्थ,जमा हुआ पानी,कूलरो मे पड| पानी , पौधो मे जम| पानी
2. रासायनिक पदार्थ जैसे – डिटर्जेंट्स, हाइड्रोजन, साबुन, औद्योगिक एवं खनन के बेकार पदार्थ
3. प्लास्टिक
4. गैसें जैसे- कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, अमोनिया आदि।
5. उर्वरक जैसे- यूरिया, पोटाश ।
6. गंदा पानी
7. पेस्टीसाइड्स जैसे- डी.डी.टी, कीटनाशी।
8. ध्वनि।
9. ऊष्मा।
10. जनसंख्या वृद्धि
प्रदूषण के परिणाम – Consequences of Pollution
आज के समय की मुख्य चिंता है बढ़ता हुआ प्रदूषण | कचरा मैदान के आसपास दुर्गंध युक्त गंध के कारण सांस लेना दुर्भर होता है | और इसके आस पास का स्थान रहने लायक नहीं रहता | विभिन्न श्वास सम्बन्धी रोग उत्पन्न होते हैं | अपशिष्ट उत्पादों से छुटकारा पाने के लिए जब इन्हे जलाया जाता है तो वायु प्रदूषित होती है |
अपशिष्ट पदार्थों के सीधे संपर्क में आने से त्वचा सम्बन्धी रोग, विषाक्त पदार्थ विषैले जीव उत्पन्न करते हैं जो की जानलेवा रोगों के कारण बनते हैं | जैसे कि मच्छर, मख्खियाँ इत्यादि | कृषि खराब होती है और खाने पीने की वस्तुएँ खाने के लायक नहीं रहती |
पीने का जल जो कि अमृत माना जाता था वह भी रोगो का साधन बन जाता है | ध्वनि जो की संगीत पैदा करती थी शोर बन कर मानसिक असंतुलन पैदा करती है |धरती पर ग्रीन कवच भी बहुत कम लगभग तीन प्रतिशत ही बच है जो कि चिन्तनीय है |
Answer:
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Explanation:
विज्ञान के इस युग में मानव को जहां कुछ वरदान मिले है, वहां कुछ अभिशाप भी मिले हैं। प्रदूषण एक ऐसा अभिशाप हैं जो विज्ञान की कोख में से जन्मा हैं और जिसे सहने के लिए अधिकांश जनता मजबूर हैं।
प्रदूषण का अर्थ है -प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना। न शुद्ध वायु मिलना, न शुद्ध जल मिलना, न शुद्ध खाद्य मिलना, न शांत वातावरण मिलना। प्रदूषण कई प्रकार का होता है! प्रमुख प्रदूषण हैं - वायु-प्रदूषण, जल-प्रदूषण और ध्वनि-प्रदूषण ।
उपर्युक्त प्रदूषणों के कारण मानव के स्वस्थ जीवन को खतरा पैदा हो गया है। खुली हवा में लम्बी सांस लेने तक को तरस गया है आदमी। गंदे जल के कारण कई बीमारियां फसलों में चली जाती हैं जो मनुष्य के शरीर में पहुंचकर घातक बीमारियां पैदा करती हैं। भोपाल गैस कारखाने से रिसी गैस के कारण हजारों लोग मर गए, कितने ही अपंग हो गए। पर्यावरण-प्रदूषण के कारण न समय पर वर्षा आती है, न सर्दी-गर्मी का चक्र ठीक चलता है। सुखा, बाढ़, ओला आदि प्राकृतिक प्रकोपों का कारण भी प्रदूषण है।
प्रदूषण को बढ़ाने में कल-कारखाने, वैज्ञानिक साधनों का अधिक उपयोग, फ्रिज, कूलर, वातानुकूलन, ऊर्जा संयंत्र आदि दोषी हैं। प्राकृतिक संतुलन का बिगड़ना भी मुख्य कारण है। वृक्षों को अंधा-धुंध काटने से मौसम का चक्र बिगड़ा है। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में हरियाली न होने से भी प्रदूषण बढ़ा है।
विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से बचने के लिए चाहिए कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं, हरियाली की मात्रा अधिक हो। सड़कों के किनारे घने वृक्ष हों। आबादी वाले क्षेत्र खुले हों, हवादार हों, हरियाली से ओतप्रोत हों। कल-कारखानों को आबादी से दूर रखना चाहिए और उनसे निकले प्रदूषित मल को नष्ट करने के उपाय सोचना चाहिए।