Accountancy, asked by rajrajveer412, 3 months ago

HINDI
10. 1 अप्रैल, 2012 को संजय, विकास और भूपेश एक साझेदारी में सम्मिलित हुए जोकि लाभ एवं हानियों को 5 : 4 : 1 के अनुपात
में बाँटते हैं। इनकी पूँजी क्रमश: 40,000 रु.; 30,000 रु. और 20,000 रु. थी। उन्होंने 1 अप्रैल, 2013 को व्यापारिक हानियों के
कारण फर्म के समापन का निर्णय लिया। इस दिन इनकी सम्पत्तियाँ एवं दायित्व निम्नानुसार थे :
फर्नीचर 1,500 रु.; देनदार 25,000 रु.; प्राप्य विपत्र 5,500 रु. एवं व्यापारिक स्कन्ध 45,000 रु.; विविध लेनदार 32,000 रु
देय विपत्र 2,000 रु. तथा बैंक शेष 2,000 रु.। संजय ने व्यापारिक स्कन्ध 20% छूट पर लिया और विपत्रों के भुगतान का दायित
लिया। विकास ने देनदार 10% छूट पर लिए और विविध लेनदारों के भुगतान का दायित्व भी लिया। भूपेश ने प्राप्य विपत्र 5,500
में और फर्नीचर 10% ह्रास पर लिया। फर्म की पुस्तकों को बन्द करने के लिए आवश्यक खाते बनाइए।
Sanjay, Vikas and Bhupesh entered into partnership on 1st April, 2012 sharing profits and loss
in the proportion of 5:4:1 respectively. Their capitals were Rs. 40,000; Rs. 30,000 and Rs. 20,0
respectively Due to loss in business, they decided to windup their firm on 1st April, 2013. On th
date, their assets and liabilities in the firm were as follows:
Furniture Rs. 1,500, Debtors Rs. 25,000; Bills receivable Rs. 5,500 and stock-in-trade Rs. 45,0
Sundry Creditors Rs. 32,000; Bills Payable Rs. 2,000; and Bank Balance Rs. 2,000,
Sunjay agreed to take over the stock-in-trade at discount of 20% and paid-off sundry Bill Payal
Vikas agreed to take over Debtors at a discount of 10% and paid-off Sundry Creditors Bhup
agreed to take over the Bills receivable at Rs. 5,500 and Furniture at a depreciation of 10%.
(Ujjain, 20
Show the necessary ledger accounts to close the books of the firm.
भोणा 1185 क : विकास एवं भूपेश को वापसी 16,84​

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Answered by princegabriel47
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It is absolutely account subject

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