Hindi 1st lesson lo first question 9th class
Answers
Answered by
0
नमस्कार दोस्त
____________________________________________________________
(क) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए −
1. धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना क्यों नहीं की जा सकती?
उत्तर
धूल का जीवन में बहुत महत्व है। कोई भी शिशु धूल से सनकर विविध खेल खेलता है। यह धूल जब शिशु के मुख पर पड़ती है तो उसकी स्वाभाविक सुंदरता निखार जाती है।। इसलिए धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना नहीं की जा सकती।
2. हमारी सभ्यता धूल से क्यों बचना चाहती है?
उत्तर
हमारी सभ्यता धूल से बचना चाहती है क्योंकि धूल के प्रति उनमें हीन भावना है। वे इसे सुंदरता के लिए खतरा मानते हैं। इस धूल से बचने के लिए ऊँचे-ऊँचे इमारतों रहते हैं ताकि वे धूल से बचें रहें। वे कृत्रिम चीज़ों को पसंद करते हैं, कल्पना में विचरते रहना चाहते हैं, वास्तविकता से दूर रहते हैं। वह हीरों का प्रेमी है धूल भरे हीरों का नहीं। धूल की कीमत को वह नहीं पहचानते।
3. अखाड़े की मिट्टी की क्या विशेषता होती है?
उत्तर
अखाड़े की मिट्टी साधारण मिट्टी से भिन्न है । इसे तेल और मट्ठे से सिझाया जाता है। इसे देवता पर चढ़ाया जाता है। पहलवान को अखाड़े की मिट्टी ही विश्वविजयी बनाती है।
4. श्रद्धा, भक्ति, स्नेह की व्यंजना के लिए धूल सर्वोत्तम साधन किस प्रकार है?
उत्तर
श्रद्धा विश्वास का, भक्ति ह्रदय की भावनाओं का और स्नेह प्यार के बंधन का प्रतीक है। व्यक्ति धूल को माथे से लगाकर उसके प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करते है, योद्धा धूल को आखों से लगाकर उसके प्रति अपनी श्रद्धा जताते हैं। हमारा शरीर भी मिट्टी से बना है। इस प्रकार धूल अपने देश के प्रति श्रद्धा, भक्ति, स्नेह, की व्यंजना के लिये धूल सर्वोत्तम साधन है।
5. इस पाठ में लेखक ने नगरीय सभ्यता पर क्या व्यंग्य किया है?
उत्तर
नगरीय सभ्यता में सहजता के स्थान पर कृत्रिमता पर ज़ोर रहता है। वे धूल से बचना चाहते हैं, उससे दूर रहना चाहते हैं। उन्हें काँच के हीरे अच्छे लगते हैं। वे वास्तविकता से दूर रहकर बनावटी जीवन जीते हैं। इस तरह लेखक ने धूल पाठ में नगरीय सभ्यता पर व्यंग्य किया है।
(ख) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए −
1. लेखक 'बालकृष्ण' के मुँह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ क्यों मानता है?
उत्तर
लेखक 'बालकृष्ण' के मुँह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ इसलिए मानता है क्योंकि वह उसकी सहज पार्थिवता को निखार देती है। बनावटी प्रसाधन भी वह सुंदरता नहीं दे पाते। धूल से उनकी शारीरिक कांति जगमगा उठती है।
2. लेखक ने धूल और मिट्टी में क्या अंतर बताया है?
उत्तर
धूल और मिट्टी में उतना ही अंतर है जितना शब्द और रस में, देह और प्राण में, चाँद और चांदनी में। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, मिट्टी रुप है तो धूल प्राण है। मिट्टी की आभा धूल है तो मिट्टी की पहचान भी धूल है।
3. ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के कौन-कौन से सुंदर चित्र प्रस्तुत करती है?
उत्तर
ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के अनेक सुंदर चित्र प्रस्तुत करती है।शिशु के मुख पर धूल फूल की पंखुड़ियों के समान सुंदर लगती है । उसकी सुंदरता को निखारती है। सांयकाल गोधूलि के उड़ने की सुंदरता का चित्र ग्रामीण परिवेश में प्रस्तुत करती है जोकि शहरों के हिस्से नहीं पड़ती ।
4. "हीरा वही घन चोट न टूटे"- का संदर्भ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
5. धूल, धूलि, धूली, धूरि और गोधूलि की व्यंजनाओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
धूल यथार्थवादी गद्य है तो धूलि उसकी कविता। धूली छायावादी दर्शन है और धूरि लोक-संस्कृति का नवीन जागरण है। गोधूलि गायों एवं ग्वालों के पैरों से सायंकाल में उड़ने वाली धूलि है जो गाँव के जीवन की अपनी संपत्ति है।
__________________________________________________________
आशा है कि यह आपकी मदद करेगा
____________________________________________________________
(क) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए −
1. धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना क्यों नहीं की जा सकती?
उत्तर
धूल का जीवन में बहुत महत्व है। कोई भी शिशु धूल से सनकर विविध खेल खेलता है। यह धूल जब शिशु के मुख पर पड़ती है तो उसकी स्वाभाविक सुंदरता निखार जाती है।। इसलिए धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना नहीं की जा सकती।
2. हमारी सभ्यता धूल से क्यों बचना चाहती है?
उत्तर
हमारी सभ्यता धूल से बचना चाहती है क्योंकि धूल के प्रति उनमें हीन भावना है। वे इसे सुंदरता के लिए खतरा मानते हैं। इस धूल से बचने के लिए ऊँचे-ऊँचे इमारतों रहते हैं ताकि वे धूल से बचें रहें। वे कृत्रिम चीज़ों को पसंद करते हैं, कल्पना में विचरते रहना चाहते हैं, वास्तविकता से दूर रहते हैं। वह हीरों का प्रेमी है धूल भरे हीरों का नहीं। धूल की कीमत को वह नहीं पहचानते।
3. अखाड़े की मिट्टी की क्या विशेषता होती है?
उत्तर
अखाड़े की मिट्टी साधारण मिट्टी से भिन्न है । इसे तेल और मट्ठे से सिझाया जाता है। इसे देवता पर चढ़ाया जाता है। पहलवान को अखाड़े की मिट्टी ही विश्वविजयी बनाती है।
4. श्रद्धा, भक्ति, स्नेह की व्यंजना के लिए धूल सर्वोत्तम साधन किस प्रकार है?
उत्तर
श्रद्धा विश्वास का, भक्ति ह्रदय की भावनाओं का और स्नेह प्यार के बंधन का प्रतीक है। व्यक्ति धूल को माथे से लगाकर उसके प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करते है, योद्धा धूल को आखों से लगाकर उसके प्रति अपनी श्रद्धा जताते हैं। हमारा शरीर भी मिट्टी से बना है। इस प्रकार धूल अपने देश के प्रति श्रद्धा, भक्ति, स्नेह, की व्यंजना के लिये धूल सर्वोत्तम साधन है।
5. इस पाठ में लेखक ने नगरीय सभ्यता पर क्या व्यंग्य किया है?
उत्तर
नगरीय सभ्यता में सहजता के स्थान पर कृत्रिमता पर ज़ोर रहता है। वे धूल से बचना चाहते हैं, उससे दूर रहना चाहते हैं। उन्हें काँच के हीरे अच्छे लगते हैं। वे वास्तविकता से दूर रहकर बनावटी जीवन जीते हैं। इस तरह लेखक ने धूल पाठ में नगरीय सभ्यता पर व्यंग्य किया है।
(ख) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए −
1. लेखक 'बालकृष्ण' के मुँह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ क्यों मानता है?
उत्तर
लेखक 'बालकृष्ण' के मुँह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ इसलिए मानता है क्योंकि वह उसकी सहज पार्थिवता को निखार देती है। बनावटी प्रसाधन भी वह सुंदरता नहीं दे पाते। धूल से उनकी शारीरिक कांति जगमगा उठती है।
2. लेखक ने धूल और मिट्टी में क्या अंतर बताया है?
उत्तर
धूल और मिट्टी में उतना ही अंतर है जितना शब्द और रस में, देह और प्राण में, चाँद और चांदनी में। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, मिट्टी रुप है तो धूल प्राण है। मिट्टी की आभा धूल है तो मिट्टी की पहचान भी धूल है।
3. ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के कौन-कौन से सुंदर चित्र प्रस्तुत करती है?
उत्तर
ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के अनेक सुंदर चित्र प्रस्तुत करती है।शिशु के मुख पर धूल फूल की पंखुड़ियों के समान सुंदर लगती है । उसकी सुंदरता को निखारती है। सांयकाल गोधूलि के उड़ने की सुंदरता का चित्र ग्रामीण परिवेश में प्रस्तुत करती है जोकि शहरों के हिस्से नहीं पड़ती ।
4. "हीरा वही घन चोट न टूटे"- का संदर्भ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
5. धूल, धूलि, धूली, धूरि और गोधूलि की व्यंजनाओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
धूल यथार्थवादी गद्य है तो धूलि उसकी कविता। धूली छायावादी दर्शन है और धूरि लोक-संस्कृति का नवीन जागरण है। गोधूलि गायों एवं ग्वालों के पैरों से सायंकाल में उड़ने वाली धूलि है जो गाँव के जीवन की अपनी संपत्ति है।
__________________________________________________________
आशा है कि यह आपकी मदद करेगा
Similar questions