Hindi, asked by mvaishnavireddy26, 11 months ago

Hindi Bhasa per nibandh

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Answered by Anonymous
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देश की अन्य भाषाओं के बदले हिंदी को राजभाषा बनाए जाने का मुख्य कारण यह है कि यह भारत में सर्वाधिकबोले जाने वाली भाषा के साथ-साथ देश की एकमात्र संपर्क भाषा भी है| ब्रिटिशकाल में पूरे देश में राजकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी का प्रयोग होता था| पूरे देश के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग भाषाएँ बोली जातीथी, किंतु स्वतन्त्रता आंदोलन के समय राजनेताओं ने यह महसूस किया है, जो दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्रों को छोड़करपूरे देश की संपर्क भाषा है और देश के विभिन्न भाषा-भाषी भी आपस में विचार विनिमय करने के लिए हिंदी कासहारा लेते है| हिंदी की इसी सार्वभौमिकता के कारण राजनेताओं ने हिंदी को राजभाषा का दर्जा देने का निर्णयलिया था|

हिंदी, राष्ट्र के बहुसंख्यक लोगों द्वारा बोली और समझी जाती है, इसकी लिपि देवनागरी है, जो अत्यंत सरल है| पंडित राहुल सांकृत्यायन के शब्दों में “हमारी नागरी लिपि दुनिया की सबसे वैज्ञानिक लिपि है|” हिंदी मेंआवश्यकतानुसार देशी-विदेशी भाषाओं के शब्दों को सरलता से आत्मसात करने की शक्ति है| यह भारत की एकऐसी राष्ट्रभाषा है, जिसमें पूरे देश में भावात्मक एकता स्थापित करने की पूर्ण क्षमता है|

आजकल पूरे भारत में सामान्य बोलचाल की भाषा के रूप में हिंदी और अंग्रेजी के मिश्रित रूप हिंगलिश का प्रयोगबढ़ा है, इसके कई कारण है| पिछले कुछ वर्षों में भारत में व्यवसायिक शिक्षा में प्रगति आई है| अधिकतमव्यावसायिक पाठ्यक्रम अंग्रेजी भाषा में ही उपलब्ध है और विधार्थियों के अध्ययन का माध्यम अंग्रेजी भाषा ही है| इस कारण से विद्यार्थी हिंदी में पूर्ण पूर्णत: नहीं हो पाते हैं| अंग्रेजी में शिक्षा प्राप्त युवा हिंदी में बात करते समयअंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग करने को बाध्य होते है, क्योंकि हिंदी भारत में आम जन की भाषा है| इसके अतिरिक्तआजकल समाचार-पत्रों एवं टेलीविजन के कार्यक्रमों में भी ऐसी ही मिश्रित भाषा का प्रयोग में लाई जा रही है, इनसब का प्रभाव आम आदमी पर पड़ता है|

dhanyavad

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#shreya

Answered by ns4269128
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भाषा के द्वारा मनुष्य अपने विचारों को आदान-प्रदान करता है । अपनी बात को कहने के लिए और दूसरे की बात को समझने के लिए भाषा एक सशक्त साधन है ।

जब मनुष्य इस पृथ्वी पर आकर होश सम्भालता है तब उसके माता-पिता उसे अपनी भाषा में बोलना सिखाते हैं । इस तरह भाषा सिखाने का यह काम लगातार चलता रहता है । प्रत्येक राष्ट्र की अपनी अलग-अलग भाषाएं होती हैं । लेकिन उनका राज-कार्य जिस भाषा में होता है और जो जन सम्पर्क की भाषा होती है उसे ही राष्ट्र-भाषा का दर्जा प्राप्त होता है ।

भारत भी अनेक रज्य हैं । उन रध्यों की अपनी अलग-अलग भाषाएं हैं । इस प्रकार भारत एक बहुभाषी राष्ट्र है लेकिन उसकी अपनी एक राष्ट्रभाषा है- हिन्दी । 14 सितंबर 1949 को हिन्दी को यह गौरव प्राप्त हुआ । 26 जनवरी 1950 को भारत का अपना संविधान बना । हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिया गया । यह माना कि धीरे-धीरे हिन्दी अंग्रेजी का स्थान ले लेगी और अंग्रेजी पर हिन्दी का प्रभुत्व होगा ।

आजादी के इतने वर्षो बाद भी हिन्दी को जो गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त होना चाहिए था वह उसे नहीं मिला । अब प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि हिन्दी को उस का यह पद कैसे दिलाया जाए ? कौन से ऐसे उपाय किए जाएं जिससे हम अपने लक्ष्य तक पहुँच सकें ।

यद्यपि हमारी राष्ट्र भाषा हिन्दी है, परन्तु हमारा चिंतन आज भी विदेशी है । हम वार्तालाप करते समय अंग्रेजी का प्रयोग करने में गौरव समझते हैं, भले ही अशुद्ध अंग्रेजी हो । इनमें इस मानसिकता का परित्याग करना चाहिए और हिन्दी का प्रयोग करने में गर्व अनुभव करना चाहिए । हम सरकारी कार्यालय बैंक, अथवा जहां भी कार्य करते हैं, हमें हिन्दी में ही कार्य करना चाहिए ।

निमन्त्रण-पत्र, नामपट्‌ट हिन्दी में होने चाहिए । अदालतों का कार्य हिन्दी में होना चाहिए । बिजली, पानी, गृह कर आदि के बिल जनता को हिन्दी में दिये जाने चाहिए । इससे हिन्दी का प्रचार और प्रसार होगा । प्राथमिक स्तर से स्नातक तक हिन्दी अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाई जानी चाहिए ।

जब विश्व के अन्य देश अपनी मातृ भाषा में पढ़कर उन्नति कर सकते हैं, तब हमें राष्ट्र भाषा अपनाने में झिझक क्यों होनी चाहिए । राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पत्र-व्यवहार हिन्दी में होना चाहिए । स्कूल के छात्रों को हिन्दी पत्र-पत्रिकाएं पढ़ने की प्रेरणा देनी चाहिए । जब हमारे विद्यार्थी हिन्दी प्रेमी बन जायेंगे तब हिन्दी का धारावाह प्रसार होगा । हिन्दी दिवस के अवसर पर हमें संकल्प लेना चाहिए ।

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