hindi bhasha ka mahatva
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Explanation:
Hindi basha ka Bada mahatv hey
Hindi basha bahuth prasidhh hey aur Hindi basha antharrashtr mey be use Kiya jatha hey ..
Hindi basha hamara rashtr basha hey
HEYAA MATE...
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हिंदी हमारे देश में हजारों सालों से विचार विनिमय का मध्यम रही है | केवल उत्तर भारत में ही नहीं बल्कि दक्षिण भारत में भी कई आचार्य जैसे रामानुज, रामानंद, आचार्य विट्ठल जी ने भी इस भाषा के माध्यम से अपने मतों और सिद्धांतों का प्रचार किया था| कई गैर हिंदी भाषी राज्यों के कवियों तथा संतों ने भी जैसे कि संकरदेव, महाराष्ट्र के नामदेव और ज्ञानेश्वर, गुजरात के नरसी मेहता आदि ने इसी भाषा को अपने धर्म के जागरण का माध्यम बनाया | आज हिंदी के महत्व से पूरा देश भलीभांति परिचित है आज हिंदी किसी न किसी रूप में पूरे देश में प्रचलित है हिंदी 1 सशक्त और जीवित भाषा है|
ऐतिहासिक परंपरा को ध्यान में रखते हुए अनेक विद्वानों ने हिंदी क्षेत्र को दो भागों में बांटा है पूर्वी हिंदी तथा पश्चिमी हिंदी | इन दोनों क्षेत्रों में हिंदी की अनेक प्रवर्तित बोलियां प्रचलित है जिस प्रकार एक मुख्य नदी से कई छोटी-छोटी नदियां निकलती है | उसी प्रकार हिंदी भाषा से भी कई छोटी-बड़ी बोलियां भी प्रचलित हैं | हिंदी की समृद्ध परंपरा और उसकी प्रवाहमान को देखते हुए हिंदी के महत्त्व को नाकारा नहीं जा सकता |
भाषा सदैव सागर की तरह चलती बहती रहती है |इसके अपने गुण और स्वभाव को भाषा की प्रकृति कहते हैं |
हर भाषा के अपने कुछ गुण अवगुण, प्रकृति होती है | भाषा एक सामाजिक शक्ति है जो मनुष्य को प्राप्त होती है| इसे वह अपने पूर्वजों से सीखता है और धीरे-धीरे उसका विकास करता है |
यह अर्जित और परंपरागत दोनों ही है |जीवंत भाषा बहता नीर की तरह सदा प्रवाहित होती रहती है| मुख्यतः भाषा के दो रूप है कथित और लिखित | हम इसका प्रयोग कथन के द्वारा अर्थात बोलकर और लेखन के द्वारा अर्थात लिखकर करते हैं| अगर हिंदी के विषय में बात करें तो हिंदी भी इन सभी प्रक्रियाओं से अछूता नहीं है हिंदी का महत्व हिंदी के अपनी प्रकृति के वजह से ही है| यह एक ऐसी भाषा है जो सदियों की त्रासदी और गुलामी झेलने के बाद भी अपने सत्य रूप में जीवित है