Hindi, asked by aashu004, 1 year ago

hindi bhasha ka vartaman samay mai kya mahatva hai

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Answered by Tajeshsahu
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1.भारत के 60% से भी ज्यादा लोगों की पहली भाषा हिंदी हैं (भले ही वे मजबूरी में कुछ जगहों पर इसका उपयोग नकरना चाहें)|
2.गूगल समेत जितनी भी बड़ी कंपनियों ने सर्वे किया हैं उसमें यह बात सामने आईहैं कि कोई भी कंपनी या व्यापार अगर भारतीय बाजार में सफल होना चाहता हैं,तो उसे अपने उत्पादों, सेवाओं और अन्यतौर तरीकों को मुख्य रूप से हिंदी भाषा में करना होगा|
3.हिंदी भारत की हवाओं में बसी हुई हैं चाहे वो सिनेमा हो, टीवी हो या समाचार पत्र, सबसे बड़ी भारतीय भाषा हिंदी ही हैं|
4.हिंदी का इतना महत्त्व हैं जितना हम सोच नहीं सकते लेकिन तब जब हम अंग्रेजी की गुलामी करना बंद करें| चीन की अर्थव्यवस्था इतनी मजबूत क्यों हैं क्योंकि वहां पर जितने भी उत्पाद या सेवाएँ बेची जा रहीं हैं उसकी निर्माता कंपनियां चीन की ही हैं| ऐसा क्यों?? क्योंकि चीन में चीनी भाषा में ही सबकुछ होता हैं और इसलिए बाहर की कंपनियां वहां इतनी सफल नहीं हो सकती| चीन के लोगों द्वारा अपनी भाषा को महत्त्व देने के कारण आज वहां पर फेसबुक, गूगल, अमेज़न, उबेर, व्हाट्सएप्प आदि की जगह पर उनकीखुद की भाषा में उनके सर्च इंजन और सोशल मीडिया आदि बने हुए हैं| अगर आज हम अंग्रेजी की जगह हिंदी को महत्त्व दे रहे होते तो ज्यादातर वस्तुएं और सेवाएँ जो हम उपयोग में ले रहे होते वे भारत में बने होते|
5.मातृभाषा से हमेशा भावनाएं जुड़ी रहतीहैं| किसी को “Sorry” कहना एक आम बात हैं और जरूरी नहीं हैं कि अगर “Sorry”कह रहे हैं तो वाकई में आप “Sorry” महसूस कर रहे हो| लेकिन अगर आप “माफ़ करना” कहते हैं तो वाकई में आपके मन केभीतर वाकई में “माफ़ी” महसूस करेंगे|
6.अगर मातृभाषा ख़त्म हो जाती हैं तो देशकी संस्कृति ख़त्म हो जाती हैं| अंग्रेजी भाषा अकेली नहीं आई, वह अपनेसाथ पश्चिमी संस्कृति को भी लेकर आई हैं, इसी तरह अगर हिंदी ख़त्म होगी तो भारतीय संस्कृति भी ख़त्म होगी|
Answered by mitesh6
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यह प्रश्न अगर “भारत में अंग्रेजी का महत्त्व” या “भारत में जर्मनभाषा का महत्त्व” होता तो समझ में भी आता लेकिन भारत में हिंदी का महत्त्व?? यह प्रश्न सभी भारतीयों के लिए चिंताजनक होना चाहिए|

अगर भारत में हिंदी का महत्त्व नहीं होगा तो किसका होगा????

लेकिन आज ऐसी स्थिति बन गयी हैं कि यह प्रश्न भी उठाना होगा नहीं क्योंकि हमारे लिए तो टूटी फूटी ही सही लेकिन अंग्रेजी बोलना जरूरी हो गया हैं| आज देश के किसी भी कोने में छोटे से छोटा या बड़े से बड़ा कोई भी इंटरव्यू (साक्षात्कार) हो रहा हो वहां पर इंटरव्यू में सफल होने में 60% इस बात पर निर्भर करता हैं कि आप अंग्रेजी कितनी अच्छी बोलते हैं|

मेरा अंग्रेजी की बुराई करने का कोई इरादा नहीं हैं और ऐसा नहीं हैं कि मैं भी पूर्ण रूप से 100% शुद्ध हिंदी बोलता हूँ लेकिन समस्या यह हैं कि हमारे लिए अन्य भाषाएँ इतनी महत्वपूर्ण हो गयी हैं कि हमें अपनी मातृभाषा बोलने में शर्म आती हैं|

रही बात हिंदी भाषा के महत्त्व कि तो :

भारत के 60% से भी ज्यादा लोगों की पहली भाषा हिंदी हैं (भले ही वे मजबूरी में कुछ जगहों पर इसका उपयोग न करना चाहें)|

गूगल समेत जितनी भी बड़ी कंपनियों ने सर्वे किया हैं उसमें यह बात सामने आई हैं कि कोई भी कंपनी या व्यापार अगर भारतीय बाजार में सफल होना चाहता हैं, तो उसे अपने उत्पादों, सेवाओं और अन्य तौर तरीकों को मुख्य रूप से हिंदी भाषा में करना होगा|

हिंदी भारत की हवाओं में बसी हुई हैं चाहे वो सिनेमा हो, टीवी हो या समाचार पत्र, सबसे बड़ी भारतीय भाषा हिंदी ही हैं|

हिंदी का इतना महत्त्व हैं जितना हम सोच नहीं सकते लेकिन तब जब हम अंग्रेजी की गुलामी करना बंद करें| चीन की अर्थव्यवस्था इतनी मजबूत क्यों हैं क्योंकि वहां पर जितने भी उत्पाद या सेवाएँ बेची जा रहीं हैं उसकी निर्माता कंपनियां चीन की ही हैं| ऐसा क्यों?? क्योंकि चीन में चीनी भाषा में ही सबकुछ होता हैं और इसलिए बाहर की कंपनियां वहां इतनी सफल नहीं हो सकती| चीन के लोगों द्वारा अपनी भाषा को महत्त्व देने के कारण आज वहां पर फेसबुक, गूगल, अमेज़न, उबेर, व्हाट्सएप्प आदि की जगह पर उनकी खुद की भाषा में उनके सर्च इंजन और सोशल मीडिया आदि बने हुए हैं| अगर आज हम अंग्रेजी की जगह हिंदी को महत्त्व दे रहे होते तो ज्यादातर वस्तुएं और सेवाएँ जो हम उपयोग में ले रहे होते वे भारत में बने होते|

मातृभाषा से हमेशा भावनाएं जुड़ी रहती हैं| किसी को “Sorry” कहना एक आम बात हैं और जरूरी नहीं हैं कि अगर “Sorry” कह रहे हैं तो वाकई में आप “Sorry” महसूस कर रहे हो| लेकिन अगर आप “माफ़ करना” कहते हैं तो वाकई में आपके मन के भीतर वाकई में “माफ़ी” महसूस करेंगे|

अगर मातृभाषा ख़त्म हो जाती हैं तो देश की संस्कृति ख़त्म हो जाती हैं| अंग्रेजी भाषा अकेली नहीं आई, वह अपने साथ पश्चिमी संस्कृति को भी लेकर आई हैं, इसी तरह अगर हिंदी ख़त्म होगी तो भारतीय संस्कृति भी ख़त्म होगी|

 

अंग्रेजी का उपयोग करना कोई बुरी बात नहीं हैं लेकिन अंग्रेजी के कारण अपनी मातृभाषा बोलने में शर्म आना हमारे लिए बहुत बड़ी शर्म की बात हैं| और इसके जिम्मेदार हम सब हैं|

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