Hindi, asked by jewelejasmin, 1 year ago

HINDI COURSE B
CHAPTER- topi shukla

टोपी नवीं कक्षा में दो बार फ़ेल हो गया। बताइए −
(क) ज़हीन होने के बावजूद भी कक्षा में दो बार फ़ेल होने के क्या कारण थे?
(ख) एक ही कक्षा में दो-दो बार बैठने से टोपी को किन भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
(ग) टोपी की भावात्मक परेशानियों को मद्येनज़र रखते हुए शिक्षा व्यवस्था में आवश्यक बदलाव सुझाइए?



Please give a long answer

Answers

Answered by shubhamtiwari31
100
क)टोपी नवी कक्षा में दो बार फेल हो गया था। वह पढ़ाई में बहुत होशियार था परंतु उसे कोई पढ़ने नहीं देता था। जब भी वह पढ़ने बैठता था उसी समय घर में कोई ना कोई काम निकल आता था। उस काम को केवल टोपी कर सकता था। घर के नौकरों पर भरोसा नहीं किया जा सकता था। कभी मुन्नी बाबू तो कभी रामदुलारी उसे किसी ना किसी काम के लिए पढ़ने से उठा देते थे। यदि घर वालों को कुछ काम नहीं होता था तो भैरव ही उसकी कॉपियों के कागज़ों के हवाई जहाज उड़ा चुका होता था। दूसरे साल उसने अच्छी तैयारी की थी परंतु उसे टाइफाइड हो गया था इस कारण वह फेल हो गया।


ख)एक ही कक्षा में दो बार बैठने से टोपी को कई तरह की भावात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। फेल होने के बाद टोपी को उसी कक्षा में अपने से पीछे वाले कक्षा के छात्रों के साथ बैठना पड़ रहा था। उसके साथ के लड़के अगली कक्षा में चले गए थे। अपनी कक्षा में आप उसका कोई भी दोस्त नहीं था इसलिए मैं कक्षा में अकेला बैठता था। उसे सब अजीब लगता था। मास्टरजी भी कमजोर बच्चों के सामने उसका उदाहरण रखते थे जिसे सुनकर उसे बहुत शर्म आती थी। जब वह दूसरी बार फेल हुआ तो वह कक्षा में ऐसा लगा जैसे कोई गीली मिट्टी का ढेर हो। सारे स्कूल में उसका कोई दोस्त नहीं था सातवीं कक्षा के छात्र अब उसके साथ नवी कक्षा में थे। अध्यापकों ने उस पर ध्यान देना छोड़ दिया था। यदि वह किसी प्रश्न का उत्तर देने के लिए हाथ खड़ा करता तो अध्यापक यह कहकर उसे उसे मना कर देते कि उसने तो अगले साल भी इसी कक्षा में बैठना है। टोपी को यह सुनकर बहुत ठेस लगी। अपने से पीछे वाले कक्षा के छात्रों के साथ बैठना आसान नहीं था परंतु टोपी 2 साल तक उन बच्चों के साथ बैठा।


ग)टोपी लगातार दो साल नवी कक्षा में फेल हुआ। इसके लिए उसके घर के लोग तथा स्कूल के अध्यापक भी जिम्मेदार थे। अभी कोई बच्चा होशियार होते हुए भी कक्षा में बिछड़ जाए तो अध्यापक को उसका कारण जानना चाहिए और जहां तक संभव हो उसकी पढ़ाई में सहायता करनी चाहिए। उसे कक्षा में शर्मशार नहीं करना चाहिए। कक्षा का माहौल ऐसा होना चाहिए कि फेल हुए बच्चे अपने को अकेला ना समझे। प्रत्येक बच्चे में कोई न कोई गुण होता है। अध्यापकों को चाहिए कि फेल हुए बच्चों को उनकी योग्यता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करें। जिससे बच्चे में पढ़ाई के प्रति लगन हो और उसका अच्छा परिणाम आए।

Answered by virgoraj72
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ख)एक ही कक्षा में दो बार बैठने से टोपी को कई तरह की भावात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। फेल होने के बाद टोपी को उसी कक्षा में अपने से पीछे वाले कक्षा के छात्रों के साथ बैठना पड़ रहा था। उसके साथ के लड़के अगली कक्षा में चले गए थे। अपनी कक्षा में आप उसका कोई भी दोस्त नहीं था इसलिए मैं कक्षा में अकेला बैठता था। उसे सब अजीब लगता था। मास्टरजी भी कमजोर बच्चों के सामने उसका उदाहरण रखते थे जिसे सुनकर उसे बहुत शर्म आती थी। जब वह दूसरी बार फेल हुआ तो वह कक्षा में ऐसा लगा जैसे कोई गीली मिट्टी का ढेर हो। सारे स्कूल में उसका कोई दोस्त नहीं था सातवीं कक्षा के छात्र अब उसके साथ नवी कक्षा में थे। अध्यापकों ने उस पर ध्यान देना छोड़ दिया था। यदि वह किसी प्रश्न का उत्तर देने के लिए हाथ खड़ा करता तो अध्यापक यह कहकर उसे उसे मना कर देते कि उसने तो अगले साल भी इसी कक्षा में बैठना है। टोपी को यह सुनकर बहुत ठेस लगी। अपने से पीछे वाले कक्षा के छात्रों के साथ बैठना आसान नहीं था परंतु टोपी 2 साल तक उन बच्चों के साथ बैठा।




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