Hindi debate on the topic - औद्योगिक विकास और पर्यावण संरक्षण साथ साथ संभव नहीं है। please answer me
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Answer:
मानव जाति (होमो सेपिएंस) का उद्भव लगभग पच्चीस लाख वर्षों से भी अधिक समय पूर्व हुआ था। उनमें मस्तिष्क अत्यंत विकसित होने के कारण वे सोचने की क्षमता रखते थे और अपने निर्णयों का उपयोग करते थे। मानव ने दो पैरों पर सीधे खड़े होकर चलना शुरू किया जिसके कारण उनके हाथ अपने शारीरिक कार्य करने के लिये स्वतंत्र हो गये।
दूसरे जन्तुओं की तरह मनुष्य भी अपने जीवन के निर्वाह के लिये पूरी तरह से भोजन के लिये पर्यावरण पर निर्भर था। बुद्धिमान होने के कारण मनुष्य ने पर्यावरणीय संसाधनों को न केवल भोजन के लिये बल्कि दूसरे कार्यों को करने के लिये भी खोजना शुरू किया। पिछली कुछ शताब्दियों में पर्यावरण का दोहन नाटकीय ढंग से इतना बढ़ गया है कि पर्यावरण के गम्भीर रूप से नष्ट होने तथा विघटित होने का खतरा बढ़ गया है। इस पाठ में आप प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग और दोहन के बारे में जानने के साथ-साथ यह भी जानेंगे कि इनका अत्यधिक दोहन कैसे किया जा रहा है।
उद्देश्य
इस पाठ के अध्ययन के समापन के पश्चात, आपः
- पर्यावरण से प्राप्त होने वाले प्राकृतिक संसाधनों की सूची बना सकेंगे;
- आदिम समाज और पर्यावरण का भोजन संग्रहण, उसका शिकार करने और खानाबदोश जीवन के संदर्भ में परस्पर सम्बन्धों का वर्णन कर सकेंगे;
- आदिम मानव द्वारा उपयोग में लाये जाने वाले औजारों और आग की खोज का वर्णन कर सकेंगे;
- व्यवस्थित रूप में रहने की शुरुआत कैसे हुई, व्याख्या कर सकेंगे;
- कृषि के उद्भव और विकास के साथ-साथ पशुपालन के बारे में वर्णन कर सकेंगे;
- पहिये के आविष्कार का महत्त्व बता सकेंगे;
- औद्योगिकीकरण कैसे आरम्भ हुआ, व्याख्या कर सकेंगे;
- औद्योगिकीकरण की वृद्धि को बढ़ावा देने वाले कारणों की पहचान कर सकेंगे;
- प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कैसे आरम्भ हुआ, इसकी व्याख्या कर सकेंगे।
Explanation:
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